tag:blogger.com,1999:blog-85388269767898741372024-03-05T20:02:11.091-08:00"MIRACLE""JO MUJHSE MILA MAERA HO GYA""MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-70574587885254761382010-01-28T18:51:00.000-08:002010-01-28T18:51:43.584-08:00दोस्ती --तमाम खूबसूरत रिश्तों में से एक रिश्ता........<strong><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><span style="font-size: small;"><span style="color: red;">दोस्त जीवन भर की उपलब्धि होता है ,जिस पर गुरुर किया जाता है</span><span style="color: #e06666;">. </span><span style="color: #6aa84f;">जिस रिश्ते के साथ जी भर कर मिलना होता हो और उसके जाने पर जी न भरे उस रिश्ते को हम दोस्ती कहते है . इसी वजह से दुनिया के तमाम रिश्तों में से एक खूबसूरत रिश्ता दोस्ती का होता है . </span></span></span></strong><strong><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><span style="font-size: small;"><span style="color: #6aa84f;"><span style="color: #ffd966;">"</span></span><span style="color: #cc0000;">दोस्त</span><span style="color: #cc0000;"> तो स्ट्रीट लाइट कि तरह होते है ,वे रास्ते को छोटा नहीं बनाते ,लेकिन राह में वह रौशनी भर देते है . जिससे आपका सफ़र तय करना सहज हो जाता है . "</span></span></span></strong><br />
<strong><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><span style="font-size: small;"><span style="color: blue;"><span style="color: #6aa84f;">दोस्त बनना या बनाना हमारी व्यक्तिगत भावनाए होती है जिससे कोई अजनबी इन्सान हमारा अच्छा साथी साबित होता है . कोई हम उम्रर इन्सान हमारे साथ काम करता हो , पढ़ या खेल रहा हो वो दोस्त बन जाये वो मार्गदर्शक तो हो सकता है लेकिन जरुरी नहीं कि एक अच्छा दोस्त बने . दोस्ती के लिए समय चाहिए जिससे एक दुसरे को समझा जा सकें . हममें से ज्यादा तर लोग यह सोचते हैं कि जो इन्सान हमारी पहचान का समर्थन या सहयोग करते है वो ही हमारे सच्चे दोस्त है बल्कि मेरे हिसाब से ऐसी बातें आत्म</span> </span><span style="color: #6aa84f;">मोह वाली होती है .जब वक्त गुजर जाता है तब पता चलता है कि हमने दोस्त बनाने में क्या गलती कि थी . आत्म मोह वाली बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है खास कर जब दो मेल -फीमेल दोस्त हो . एक सही दोस्त आपकी जिंदगी को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है </span></span></span></strong><br />
<strong><span style="color: #6aa84f; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दोस्त बनाने के लिए हमको को न तो धर्म ,जाति देखने होते हैऔर न ही रुतबा . दोस्ती करने में सबसे बड़ी बात तो यह भी होती कि जन्म कुंडली मिलाने का कोई झन्झट नहीं है .इस खूबसूरत रिश्ते में सबसे खास बात यह भी होती कि लड़ाई हो जाने पर जब बिना बातचीत के नहीं रहा जाता तो बस हमको यह कहना होता है कि क्या बे ज्यादा दिमाग ख़राब है सॉरी बोल तो रहा हूँ देख आज तेरी वाली बड़ी अच्छी लग रही चल देख कर आते है और कुछ ऐसा ही लड़किओं कि तरफ भी होता है! ......फिर से दोस्ती का रंग शुरू हो जाता है ...</span></strong><br />
<strong><span style="color: #e06666; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">एक खूबसूरत कथन है," ईश्वर जब हमे अपने अनुकूल परिवार नहीं दे पाते तो वे दोस्तों को हमारी जिंदगी में भेजर हमसे माफ़ी मांग लेते है "</span></strong><br />
<br />
<strong><span style="color: magenta; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">मन कि बात----दोस्त नाराज हो जाये तो उसे सौं बार मनाएं क्योंकि अच्छे दोस्त ढूंढे नहीं मिलते . एक वो ही इन्सान होता है जो स्वार्थ को दर किनार करके आपसे जुड़ता है . आप दुखी होते तो दोस्त को दुःख होता है ,जब आप हंस रहे होते तो तो वो भी आपके साथ हँस रहा होता है .</span></strong>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-6449009756408664392010-01-26T22:25:00.000-08:002010-01-28T08:35:14.622-08:00न लिखने की पीड़ा.........<span style="color: #cc66cc;">लिखने से अधिक पीड़ा ,न लिखने में होती है</span><span style="color: #ff6666;"> । बहुत सा अलिखित रोज कचोटता रहता है । <span style="color: #33cc00;">भागम -भाग की जिंदगी में सारा दिन यूही बीत जाता है,पता ही नहीं चलता और padhne -लिखने के लिए समय ही कहाँ बचता है । मन में चल रहे विचारों के नुकीले कोनों को रगड़ -रगड़ कर गोल करने की कोशिश करता रहता हूँ । यदि इसके वाबजूद कुछ गलती हो जाये तो उसका कसूरवार मै ही हूँ ...इसके लिए मेरे स्कूल ,कालेज को दोषी न <span class="">समझे...............</span>जरुरी नहीं होता की हर स्कूल में सभी काबिल हो मुझ जैसे इडियट (अपने आमिर</span> </span><span style="color: #33cc00;">खान की थ्री इडियट की तरह न समझे ) भी होते है ,जिसके <span style="color: #ff6666;">रिपोट कार्ड पर हमेशा लाल इंक ने इबारत लिखी गयी</span> । वैसे मैने इस इबारत को tahe दिल से गले लगाया ..... खैर जाने दीजिये अब इन बातों में क्या रखा है क्योंकि जो खूब पढ़ कर पास हुए वो भी मस्त और हम वैसे ही मस्त ॥</span><br />
<span style="color: #ff6666;">काफी अरसे से लिखना नहीं हो पाया उसकी वजह थी की मै अपनी बहन डॉ प्रतिभा मिश्रा को हरि</span><br />
<span style="color: #ff6666;">प्रकाश शर्मा <span style="color: #33cc00;">जी के साथ सात फेरे दिलाने में व्यस्त था फिर अपने आप से बहाना मारने मे तो मै अव्वल हूँ कोई न कोई बहाना .....यार कल से लिखते है अभी तो बहन की शादी की है कुछ दिन आराम कर लिया जाये । अख़बार के दफ्तर में तो लिख लेते ही है यह सोच कर पूरी तरह आराम कर लिया। अब लिखने का मन बना लिया है । उसके पीछे भी कारण है आज मेरे एक साथी न लिखने पर नाराजगी जाहिर की और कहा है की अबे इडियट नहीं लिखोगे तो तुम्हे अपने खाने -पीने का</span> <span style="color: #33cc00;">बिल अदा करवाउंगा ...वैसे भी वो पेशे से बकील है उसके दोनों हाथ दुसरे की जेब तलाशते रहते है । कविता ,कहानी से भी अधिक खतरा लेख लिखने में होता है । लेख लिखने में कोई वचाब नहीं हो पता और न काल्पनिकता का कोई बहाना ।खैर दोस्त तहे दिल se शुक्रिया ....अब कुछ दोस्ती पर ही लिखने की कोशिश करता हूँ</span><span style="color: #009900;"> ।</span> </span><br />
<span style="color: #33cc00;"></span><br />
<span style="color: #6633ff;">मन की बात </span><span style="color: #ff6666;">---</span><span style="color: #cc33cc;">नाराजगी को मत हावी होने दो और इसे अपने दिल में सहेज के भी मत रखो ,बोल दो । बातों से रिश्तों में पड़ी गांठ खुल जाती है । </span>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-85297596380179661752009-10-06T03:36:00.000-07:002010-01-26T09:26:04.491-08:00करवाचौथ........का बाजारीकरण<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCL-gnDqVrRqdOTe15QAuaz3ZcxfwEOhu_owVsoW8ZmyWwNT02SQPm1enDoNGZgogP3rcsmzXxFKU2eBudiAWI14xnceosCXHlSuap_W6zKRFPq2UACJTLzq9WKoSvpL9j397MerAAga5A/s1600-h/520291[1].jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5389412939637556162" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 239px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCL-gnDqVrRqdOTe15QAuaz3ZcxfwEOhu_owVsoW8ZmyWwNT02SQPm1enDoNGZgogP3rcsmzXxFKU2eBudiAWI14xnceosCXHlSuap_W6zKRFPq2UACJTLzq9WKoSvpL9j397MerAAga5A/s320/520291%5B1%5D.jpg" border="0" /></a> <span style="color:#ff6600;"><span class="">व्रत</span> ! ढाई अक्षर का छोटा</span> सा शब्द अपने आप <span class="">में </span>कितना विस्तृत है । नाम लेते ही तस्वीर मन में बन जाती है ,अपने -अपने ढंग से सोलहों <span class="">श्रंगार </span>से युक्त महिलायें लिपे -पुते आँगन में अल्पना बना रही है ,लोटे से चंदा मामा को अधर्य दे रही है या <span class="">बड़ों </span>के पैर छू रही है । रंगारंग <span class="">संस्कृति </span>से कौन अभिभूत नही होता ............. ..करवा चौथ यानि संकल्प और <span class="">यथा </span><span class="">साध्य </span>प्रयास ।<br /><div align="left"><span class="">आज </span>रात जब व्रत <span class="">से </span>व्याकुल करोड़ों जोड़ी नयन <span class="">चलनी </span><span class="">की </span><span class="">ओट </span>में <span class="">चंदा </span>का <span class="">बिम्ब देखेंगे तो </span><span class="">नेपथ्य </span>में एक मल्लती प्लेक्स संस्करण भी झिलमिलायेगा । एकता कपूर मार्का सीरियल की तरह <span class="">करवा </span>चौथ का भी बाजारी<span class="">करण </span>हो गया है । देश के हजारों ब्यूटी पार्लर और मेहंदी लगाने वाले कम से कम आज उन पुरखों को साधुवाद तो देंगे जिन्होंने सदियों पहले सुहागनों को एक दिन निराहार रहने का विचित्र विधान दिया । दांपत्य जीवन को ,पति को खिलाकर <span class="">ही </span>खाने और प्यार -मनुहार से उपहार वसूलने जैसी मीठी शर्तों से बाँधने वाले <span class="">इस </span>का कभी शायद कोई पावन अर्थ रहा हो ,आज तो वह जींस धारियों के <span class="">हाथ </span>mछलनी जैसे वाले नज़ारे दिखा रहा है । व्यवसायीकरण के चलते एक -दो हजार रूपए से लेकर दस हजार रूपए तक के सोने चांदी के बने डिजाइनर कर'वे जो गंगा जमुनी करवा ,नातद्बारा ,कोल्हापुरी ,राजस्थानी के नाम से बाजार मैं मौजूद है । पारम्परिक मिटटी के करवे दस -तीस रूपए तक मिल रहे है ........................<span style="color:#ff0000;">तुम धन्य हो बाजार ।</span> </div><div>यह तो कहा ही जा सकता है की ......."दिलबर से अगर मिलना है <span class="">तो,</span> दिलबर <span class="">बने </span>रहना" (अज्ञात )</div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-11223980773963008582009-10-04T23:52:00.000-07:002009-10-05T22:32:20.231-07:00दोस्ताना हमारा ........<div align="center"><span style="color:#ff9966;">रात जब अपने पूरे कगार पर थी ,</span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">तब कलम मेरे हाथ में थी </span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">और साथ उन सभी पुराने दोस्तों का ,</span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">जिनके साथ, मेरा साथ है कुछ सालों का ,</span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">यह दोस्त पुराने तो है , सही मगर.................</span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">यह देते है एक एहसास .......</span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">जो रात की शुरुआत से सुबह तक । </span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">फ़िर उजाले की भीड़ मे खो जाते है ,</span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">यह दोस्त है ...<span style="color:#333333;">सन्नाटे ,खामोशी</span> </span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">यह सिलसला है पुराना </span></div><div align="center"><span style="color:#ff9966;">मगर फ़िर भी है .......<span style="color:#3333ff;">दोस्ताना हमारा ।</span> </span></div><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span style="color:#ff0000;">मन की बात --"</span> <span style="color:#cc66cc;">जिंदगी की कामयाबी के लिए यह बहुत जरुरी है की हमारे जीवन main चिंतन तथा सृजनशीलता की सहभागिता हो और हमारा मन उल्लास और प्रफुल्लता से परिपूर्ण हो । "</span>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-27549340081064870862009-09-26T22:40:00.000-07:002009-09-30T02:53:17.027-07:00अदब व तहजीब के शहर में मेट्रो की दस्तक........<div style="text-align: right;"><div class="separator" style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none; clear: right; cssfloat: right; float: right; height: 314px; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em; text-align: justify; width: 921px;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-WGbbbcOrMHQ8_N0RoJ7atoBxON5legchpk78qm-FJg71LbnUl7LcWdearwyaKuru0FIqO7CuFwb2r0XSkP8FAuYRPcqrOFVM7I4G4OqkKDlzZoo1dEHt-iapBL_2izpuUU9Wnwjgm_zw/s1600-h/metro.JPG" imageanchor="1" style="clear: left; cssfloat: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" iq="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-WGbbbcOrMHQ8_N0RoJ7atoBxON5legchpk78qm-FJg71LbnUl7LcWdearwyaKuru0FIqO7CuFwb2r0XSkP8FAuYRPcqrOFVM7I4G4OqkKDlzZoo1dEHt-iapBL_2izpuUU9Wnwjgm_zw/s320/metro.JPG" /></a> <br /></div></div><div style="text-align: right;"><br /></div><div style="text-align: right;"><span style="font-size: x-small;"></span><span style="font-size: x-small;"></span><span style="font-size: x-small;"></span><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: right;"><br /></div><div style="text-align: right;"><br /></div><div style="text-align: right;"><br /></div><div style="text-align: right;"><br /></div><div style="text-align: right;"><br /></div><div style="text-align: right;"><br /></div><div style="border-bottom: medium none; border-left: medium none; border-right: medium none; border-top: medium none; text-align: justify;"><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"><strong> </strong></span><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgf3GIaisATCTmslfMhv5a3YoBN3TEloiItKYwJHIhqVg-xSaocnO3MpmJiTZR5XRlcsPxHiEtsP2tfpanW1qCuQUj4SD7ahTlyO3TSTVWvW6uwjp-RKyX-Ynu8CG5x9nf0keqPFcjjzQEJ/s1600-h/metro.JPG"><span style="color: red;"></span></a><span style="color: red; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: x-small;"> <span style="font-family: Georgia, "Times New Roman", serif; font-size: small;"><strong>"तहजीब <span class="">के </span>शहर में तरक्की के वास्ते,</strong></span></span><br /></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: red;"><span style="font-family: Georgia, "Times New Roman", serif;"><strong><span class=""> आओ</span> कोई ख्वाव चुन ले कल वास्ते "</strong></span></span><br /></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><span style="background-color: white;"><span style="color: magenta;">आखिरकार अदब व तहजीब के शहर लखनऊ में मेट्रो ट्रेन का <span class="">बनने </span>लगा है खाका</span> । <span style="color: magenta;"><span class="">राज़धान<span style="color: magenta;">ी </span></span></span><span style="color: magenta;"><span class="">में </span>मेट्रो ट्रेन को <span class="">दौड़ने </span>में एक दशक लग सकते ह</span>ै, वैसे मेट्रो का</span> संचालन कैसे होगा उसका भी खाका लगभग तय सा है । फ़िलहाल तो भूमि परीक्षण हो रहा है उसके <span class="">बाद प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जायेगी । तकनीकी अधिकारियों के अनुसार लखनऊ मे मेट्रो ट्रेन का संचालन बहुत चुनौंती पूर्ण होगा । हजरतगंज <span class="">में मेट्रो </span>ट्रेन का भूमिगत स्टेशन होगा और इसके अलावा अदब के शहर में मेट्रो ट्रेन ९० % खम्भों के सहारे हवा से बातें करेगी जबकि १० % भूमिगत होगी ।<span style="color: orange;"> अमौसी -मुंशी पुलिया ,राजाजीपुरम -गोमतीनगर तथा शक्ति भवन ,कैसरबाग ,अमीनाबाद हुसैनगंज ,आदि इलाके को होंगे जिन्हें मेट्रो ट्रेन अपने दिल की धडकनों से वाकिफ कराएगी । </span></span></span><br /></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: inherit;"><span style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;">अभी तो सपना है जो शहर के लोगो ने देखना शुरू किया है जिसे पूरा करने में शासन को अपनी इच्छा शक्ति दिखानी होगी । जब से पता चला है की लखनऊ में मेट्रो आ रही है खुशी तो बहुत हो हुई पर यह मनवा बड़ा बावरा है खुशी के साथ एक चिंता साथ में फ्री दे दी । बिजली आपूर्ति का जो हाल है वो तो जगजाहिर है , मेट्रो आने पर क्या हाल होगा उसका रब ही मालिक ............लिखे जाने तक बिजली उत्पादन घटा है और बिजली संकट अपने पैर पसार रहा है । ओबरा ,अनपरा व परीछा बिजलीघरों में एक -एक इकाई ठप है जबकि <span style="color: #c27ba0;">९ हजार मेगावाट</span> की जरुरत है और उत्पादन हो रहा <span style="color: #c27ba0;">२००० मेगावाट</span> का । बिजली उत्पादन के घटते स्तर को देखते हुए नये पवार प्लांट की जरुरत है जिस पर तेजी से काम होना चाहिए । जब हम लोग आज बिजली की हाय -तोबा कर रहे है तब क्या करेंगे जब मेट्रो चलेगी ....क्या ऐसे हालातों में मेट्रो के चलने पर प्रशन चिन्ह नही लगता .......बस चिंता जो मन को सता रही है की, कही यह न हो की केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की आपसी लडाई में तहजीब का शहर मेट्रो से दूर हो जाए क्योकि मेट्रो चलने के लिए बिजली की बहुत जरुरत होगी ............मौजूदा हालत कुछ और बयाँ कर रहे है ।</span> </span><br /></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: inherit;"></span><br /></div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: inherit;"><span style="color: #e06666;">मन की बात --</span><span style="color: magenta;">जनहित में बिजली की चोरी व दुरूपयोग को रोके ....कुछ इस तरह हम लोग भी</span> <span style="color: magenta;">मेट्रो ट्रेन की शुरूआत का हिस्सा बन सकेगे.....तभी तो हमारे घरों की नन्हे -मुन्ने गा सकेंगे<span style="background-color: white;"> ......</span>छुक -छुक करती आई .....मेट्रो train</span> </span><br /></div><div align="justify"></div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-88257609756771707732009-08-21T20:51:00.000-07:002009-09-27T00:00:57.647-07:00ब्लॉग की दुनिया में एक साल का सफर ....पहली वर्षगाँठ<div align="center"><span style="color: red;">वो खेल वो साथी वो झूले ,</span><br />
</div><div align="center"><span style="color: red;">वो दौड़ के कहना आ छू ले । </span><br />
</div><div align="center"><span style="color: red;">हम आज तलक भी न भूले ,</span><br />
</div><div align="center"><span style="color: red;">वो ख्वाब सुहाना बचपन का। </span><br />
</div><div align="left">इस गीत की लाइनों ने मुझे अपने ब्लॉग बनाये जाए वाले दिन याद दिला दिया क्योंकि जब हम कोई खेल खेलना नही जानते है तब हम सिर्फ़ दूर से देख कर मन मसोस कर जाते है की काश हम भी खेल लेते । कमोबेश कुछ ऐसे ही मेरे साथ हो रहा था जब मैं दूसरो को ब्लॉग लिखते देख रहा था । क्योंकी इस बावरे कंप्यूटर से मेरा कम परिचय था बस मतलब भर कि दोस्ती थी या कह सकता हूँ कि इस मतलब भर दोस्ती से मेरी नौकरी बची हुई थी <br />
</div><div align="left">.....बस एक दिन मैने अपने विवेक भइया कहा कि भइया ब्लॉग कैसे बनाते है ...बस जी भाई ने जरा सी देर में मुझे ब्लॉगर बना दिया । पहले मैं सोचता कि यार यह कंप्यूटर पर कैसे ब्लॉग लिखते है ...कैसे करते होंगे ..लेकिन जब मै ब्लॉग कि दुनिया मे आया तो ब्लॉग कि दुनिया इतनी अच्छी लगी कि पता ही नही चला कि कब एक साल का सफर तय कर लिया । ब्लॉग कि दुनिया लोगो ने मेरा स्वागत किया और प्रोत्साहित किया, उसके लिए मेरी ओर से तहे -दिल से शुक्रिया .............बस यूही साथ बनाये रखियेगा ................... । <br />
</div><div align="left"></div><div align="left"></div><div align="left"><span style="color: yellow;">"</span><span style="color: magenta;"> पार ब्रह्म परमेश्वर सगुन रूप सियाराम, जो आवै इस द्वार पर सबको सीताराम "</span><br />
</div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com22tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-16015546422733206732009-08-17T08:49:00.000-07:002009-08-17T09:46:28.611-07:00यादें......<div align="center">दूर कहीं उस पार क्षितिज के , रहती मन की यादें </div><div align="center">ले आती आँचल में अपने ,बीती यादों के लम्हे ,</div><div align="center">लेकर खुशिओं का खजाना ,यूं आंखों में उतर आती है यादें । </div><div align="center">जैसे सूरज की किरणों से खिलती सागर की लहरें ,</div><div align="center">ले जाती है इस भावुक मन को ,नील गगन में ऐसे ,</div><div align="center">हसीं तमन्नाओ के सौदागर हो जैसी......... । </div><div align="center">चहुँ ओर खिले है पुष्प अनोखे ,</div><div align="center">नई आस है मन में ............. । </div><div align="center">दूर कहीं उस पार ..... क्षितिज के..... । </div><div align="center">.......................</div><div align="center"><span class=""></span></div><div align="center">कभी -कभी कुछ शब्द यूही मन में आ जाते है और हम लोग इसको कागज पर उकेर देते है मेरे यह शब्द भी उसका ही हिस्सा है । </div>ma"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-23634386122803457642009-08-02T10:25:00.000-07:002009-09-27T00:04:24.164-07:00"फ्रैंडशिप डे" और ........ दोस्त......महिमा<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj6ioX0yFlOrXwHHQJoXQF6svZjJ-ZbVUvqR_Nw75s3XzRYiwlZ5zJxraARfMtbES_hYF59ALWj3X-n5EFE0Kfe2rOFj2sKl4j9OWx1uLRoByet8y11NhBxmYKPSMgZWnxZot_wrvM6O9RD/s1600-h/m1.jpg"><img alt="" border="0" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5369745719156210658" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj6ioX0yFlOrXwHHQJoXQF6svZjJ-ZbVUvqR_Nw75s3XzRYiwlZ5zJxraARfMtbES_hYF59ALWj3X-n5EFE0Kfe2rOFj2sKl4j9OWx1uLRoByet8y11NhBxmYKPSMgZWnxZot_wrvM6O9RD/s320/m1.jpg" style="cursor: hand; float: right; height: 320px; margin: 0px 0px 10px 10px; width: 240px;" /></a><br />
<div>फ्रेंडशिप डे वाले दिन ,बरेली जाते वक्त ट्रेन में एक बहुत ही प्यारी सी <span style="color: blue;">महिमा</span> से दोस्ती हो गयी । ईश्वर ने मेरी इस नये दोस्त को हम लोगो की तरह बुराई करने के लिए आवाज और बुरा सुनने शक्ति नही दी है ( महिमा जन्म से बोल और सुन नही सकती है) । इसलिए मैं महिमा को उन लोगो से बेहतर मानता हूँ जो बोल और सुनने के बावजूद बुरा बोलते है और बुरा ही सुनते है । जब तक हम दोनों एक दुसरे से नही मिले थे तब ही तक नये थे, जब घुल मिल गये तब लगा ही नही की थोडी देर पहले तक हम अनजान थे उसके बाद तो हम लोग दोस्ती की तरफ़ कदम बड़ा चुके थे । वैसे भी दोस्ती एक वो शक्ति है जिसमे विनम्रता , प्रकाश ,स्नेह व प्रेम की झलक होती है।<br />
<span class=""></span>हम लोगो ने मिल कर खूब मजे किए।मैने उसको कुछ जादू करके दिखाए उसने भी मुझे हाथ की सफाई के कमाल करके के दिखाए जो उसको औरों से अलग करती है ।<br />
महिमा के पापा ने बताया की महिमा की याददाश्त बड़ी गजब की है सालों - साल पुरानी बातें कभी नही भूलती है । महिमा की अच्छी याददाश्त के लिए उसके पापा -मम्मी अपने इलाके में जाने जाते है। और यह कहा जाता की इनकी बेटी खूबिओं का भंडार है। ,महिमा के पापा का कहना था की हम लोगो को गर्व है की महिमा के हम पापा -मम्मी है और खुशी तब और होती है जब हमें लोग हमारी बेटी के नाम से बुलाते है । bareilly आते -आते हम दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे क्योंकि हम दोनों ने अगली मुलाकात पक्की करने के लिए फ़ोन नंबर एक दुसरे को दे चुके थे । मैने महिमा से जल्दी मिलने का वादा कर उससे विदा ली .....जाते वक्त पलट कर जब मैने देखा तो दूर से ही मुस्करा कर हाथ हिला रही थी। आज बहुत से दोस्तों के फ्रैंडशिप डे पर फ़ोन तो आए लेकिन जो सकूँ महिमा के साथ आया वो सुख किसी से नही मिल पाया ....... ।<br />
</div><div></div><div><br />
<span style="color: red;">मन की बात</span>-: <span style="color: magenta;">"माँ -पिता के लिए इससे अच्छी बात हो ही नही सकती की वो अपने बच्चों के नाम</span> <span style="color: magenta;">से जाने जाए</span> <span style="color: lime;">,</span><span style="color: magenta;">खास कर बेटियों के माँ -पिता को ........."</span><br />
</div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-31661287759822390722009-06-29T08:36:00.000-07:002009-09-27T00:06:26.450-07:00शाम -ए-अवध की महक<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlASxpsxdpXa_Vg_pJkcVvBL0dUHY1T-gjVmMrTdRQu9ct7H7a4rSJsrRuLNESpeDRSTr9IggxgxBiAg6MLAWzVHz_roH4CGq2UFQsghJvyLIxuGA6cd0xEeIAfns1Sn9N_E74vyJHZzre/s1600-h/100_4625.JPG"><img alt="" border="0" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5356404577890711090" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlASxpsxdpXa_Vg_pJkcVvBL0dUHY1T-gjVmMrTdRQu9ct7H7a4rSJsrRuLNESpeDRSTr9IggxgxBiAg6MLAWzVHz_roH4CGq2UFQsghJvyLIxuGA6cd0xEeIAfns1Sn9N_E74vyJHZzre/s320/100_4625.JPG" style="cursor: hand; display: block; height: 240px; margin: 0px auto 10px; text-align: center; width: 320px;" /></a><br />
<div align="center"><span style="color: orange;">"वो तो खुशबू है , हवाओं मे बिखर जायेगी ,</span><br />
</div><div align="center"><span class=""><span style="color: orange;"><span class="">मसला </span>फूल <span class="">का,</span> फूल किधर जायेगा ।"(अज्ञात )</span></span><br />
</div><div align="left"><span class="">इसी हाल <span class="">मे </span>है ,<span class="">शामे </span>अवध को <span class="">महकाने </span>वाले । दूसरो को गजरे की महक देने वाले ख़ुद उसकी महक से दूर है । पहले लखनऊ <span class="">के </span>चौक ,कैसर<span class="">बाग </span>और हजरतगंज के इलाके शाम होते ही गजरों की महक से महकने लगते थे । तवायफों के कोठों पर भी वातावरण गजरों के बिना <span class="">अध्रूरा </span>रहता था । </span><span class="">बेला ,चमेली ,जूही ,मोगरा ,कुंद ,गुलाब ,नेवारी के गजरे मुजरे और <span class="">तबले </span>की थाप के <span class="">साथ </span>तवायफों के मन मोहक डांस तथा उनके जू<span class="">डे </span>व <span class="">उनके </span>प्रेमियो के हाथ <span class="">मे </span>लिपटे गजरे रोमानियत मे चार चाँद लगा देते थे । लखनऊ के गजरे किसी वक्त अपनी महक व शोहरत के <span class="">नायाब </span>उदाहरण थे ,लेकिन अब ऐसा नही <span class="">रहा। </span>अब तो इन गजरों का चलन <span class="">सिर्फ़ </span>कुछ महिलाओं के जू<span class="">डों </span>तक ही <span class="">सीमित </span>रह गया है । हजरतगंज में गजरे बेचने वाले अरविन्द बताते है की अप्रैल से अगस्त तक बिकने वाले इन गजरों के कच्चे काम में मेहनत ज्यादा है और फायदा कम है । यदि माल बचा तो जेब अपनी ढीली होती है । गजरों की बात करे तो सालों साल पुरानी फूल वाली गली की महक को भी भुलाया नही जा सकता है । पर्यटन विभाग जैसे नबाबी सवारी इक्का ,बग्घी को प्रोत्साहित करता है ,उसी तरह गजरे बेचने वालों को भी प्रोत्साहित करे तो गजरे की महक को फ़िर से ताजा करने में बेहतर कदम साबित होगा । </span><br />
</div><div align="left">जब तक सरकारी तंत्र कुछ करे तब तक हम लोग ही अपनों को गजरे भेंट कर अपने स्तर से ही प्रोत्साहित कर सकते है। <span style="color: purple;">वैसे भी बरसात का मौसम रोमानियत व फूलों का मौसम माना जाता है</span> <span style="color: purple;">जिसमे कजरी के गीत हो जाए तो .......फ़िर बात ही क्या ....अब देर किस बात की शाम - ए - अवध की महक आपके इंतजार में की आप आए और अपने चाहने वाले के लिए अवध की महक उसके नाम कर दे ।</span> <br />
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</div><br />
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<div align="left"><span class=""></span><br />
</div><span style="color: red;">मौसम का हाल >>प्यार और मौसम दो ऐसी चीजे है जिसके के बारे निश्चित तौर पर कुछ नही कहा जा सकता है ।</span><br />
<span style="color: red;">----एलिस हॉफमैंन</span><br />
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<div align="center"><span class=""></span><br />
</div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-78848927618657941072009-06-24T16:10:00.000-07:002009-06-29T08:49:37.088-07:00एक ढलती शाम का सूरज<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiUdlEBgsEosi_Q84m4Ldn53oye436mL0wmmdanZc15LuU65Txc3p2K0W7cVOvrtmdaXolI9ocHtxFPMNPJM0MqUKzKs3i3JPPfJQJtcEkfaZhUnpOiQUnCQzvkt6vE2cjpoN2d29OL7StL/s1600-h/12.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5350840812337590130" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 240px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiUdlEBgsEosi_Q84m4Ldn53oye436mL0wmmdanZc15LuU65Txc3p2K0W7cVOvrtmdaXolI9ocHtxFPMNPJM0MqUKzKs3i3JPPfJQJtcEkfaZhUnpOiQUnCQzvkt6vE2cjpoN2d29OL7StL/s320/12.JPG" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj56_vNKpsyWWziV9ImpkEH9_GSR9o6QX1k5CaB8rB6-Lv_UhRluXKqbRb7wGCmaytDGkJDlDgmIYac312xLQvDXJQekoy9hnda9q-CWNfGIn6TkBtXwpiE5Jf29wMXONFKnsc-OPciP7gY/s1600-h/1.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5350836182254259778" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 240px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj56_vNKpsyWWziV9ImpkEH9_GSR9o6QX1k5CaB8rB6-Lv_UhRluXKqbRb7wGCmaytDGkJDlDgmIYac312xLQvDXJQekoy9hnda9q-CWNfGIn6TkBtXwpiE5Jf29wMXONFKnsc-OPciP7gY/s320/1.JPG" border="0" /></a><br /><br /><p><span class="">यह</span> ढलती शाम का सूरज बुन्देलखंड के मीठी जुबान का शहर महोबा (यू. पी.) का है । मेरे <span class="">अलावा </span>इस खूबसूरत शाम के साक्षी राहुल मिश्रा और पल्लवी मिश्रा भी रहे ,जिन्होंने मेरे साथ इस शाम को भरपूर जिया । </p><br /><br /><p align="right"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQMFReLLGZijoM7SuqsLVwzDfLZrF9O4dWFFTfAg-05c9vO-a_0yAdoF76TaPNfVC-EA8a1Cr6KofFOvCz471Je2irQVhaG2wI6InQZWTrMZPinm8PGEQ0M0ZSrfFd9dRU4X9McREGrNNQ/s1600-h/100_1986.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5345373628251578450" style="WIDTH: 327px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQMFReLLGZijoM7SuqsLVwzDfLZrF9O4dWFFTfAg-05c9vO-a_0yAdoF76TaPNfVC-EA8a1Cr6KofFOvCz471Je2irQVhaG2wI6InQZWTrMZPinm8PGEQ0M0ZSrfFd9dRU4X9McREGrNNQ/s320/100_1986.JPG" border="0" /></p></a><br /><br /><br /><br /><div align="center"><br /> </div><p align="justify"> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh69SxNK2OI9Db3ZyTzIU4qjhkr6lAJpPhfXKdsf6_XIFcFjvkuENc4ybF8bbUyoXacFsG9U92lw5MXOL6az-LJ4U9curEdVzztA8tzcyS6P9-pd1ROGTnOx02lvhigHKQqT3eQOYDTpy7w/s1600-h/100_1971.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5345369468716722130" style="WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh69SxNK2OI9Db3ZyTzIU4qjhkr6lAJpPhfXKdsf6_XIFcFjvkuENc4ybF8bbUyoXacFsG9U92lw5MXOL6az-LJ4U9curEdVzztA8tzcyS6P9-pd1ROGTnOx02lvhigHKQqT3eQOYDTpy7w/s320/100_1971.JPG" border="0" /></a><br /></p><br /><br /><br /><div align="center"><br /><br /><br /></div><br /><br /><br /><br /><br /><div><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><div></div></div></div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-8115756198235115632009-06-22T13:00:00.000-07:002009-09-27T00:10:17.924-07:00यह बंधन है भावनाओं का ---- सात फेरे<div align="center"><span style="color: red;">"वो हम ही क्या जिसमे तुम नही ,वो तुम ही क्या जिसमे हम नही "। </span><br />
</div><br />
<div align="left">पड़ोंस की बिटिया को हल्दी लगी नही कि अपनी बेटी सयानी लगने लगती है । दूर कहीं बजती शहनाई कीगूँज और विदाई के गीतों पर भी माँ कि आख्ने भर आती है, ये सोच कर कि न जाने कब उनकी लाडों कि विदाई की बेला आयेगी । पापा भी तो रात - दिन इसी फ़िक्र में लगे रहते है कि हमारी बिटिया के हाथ कब पीले होंगे। <span class="">..........ओर एक दिन ऐलानकर दिया जाता है कि लड़के वाले देखने आ रहे है ।</span><span class=""> हिना की महक ,शहनाई की मीठी मधुर आवाज़ ,सखियों की खिलखिलाहट यानि वातावरण विवाह का । विवाह की रुत करीब है और प्रीत की इस रीत में सात फेरो का भी तो मान है । सात फेरो को लेकर ही तो बेटे- बेटी , पति -पत्नी बनकर कई रिश्तो व रिवाजो के दायरे में सिमट जाते है । रस्मों के नाम पर ही तो दो लोग एक दूसरे के नाम से जुड जाते है ,यही जीवन की रीत है और यही रिवाज भी है । </span><span style="color: orange;">जिन्दगी का ........चुटकी भर सिंदूर ही पूरे जीवन का सार बन जाता है । विदाई के आँसू ससुराल के लिए स्नेह बन जाते है और नेह के नये रिश्ते जुड़ जाते है एक परिवार के साथ । </span><br />
</div><div align="left"><span style="color: purple;"><span style="color: magenta;">अक्सर एक सवाल उठता है की सात कदम ही क्यों</span> ?</span> असल में सात का अंक का अपने आप में अत्यन्त गहरी आधात्मिक ,दार्शनिक और देवीये स्थान समेटे हुए है । उर्जा के सात आयाम है ,पवित्र अग्नि की सात शिखाये है । सात नदिया है , स्त्री के जीवन के भी सात चरण है और शरीर के सात चरण है। संगीत के सात सुर <span class="">है ,</span>सूर्य की सात किरणे है और मुख्य ग्रेह भी सात है इसलिय सात को एक ऐसा पवित्र अंक माना गया है ,जो एक लाबी आयु देता है । सावित्री और सत्यवान की प्रसिद्ध कथा में सावित्री यमराज से कहतीं है की मैं आपके साथ सात कदम चल चुकी हूँ लिहाजा हम अपने आप ही मित्र बन चुके है और अब जबकि हम मित्र है ,आप मेरे पति को मुझसे दूर ले जा कर विधवा कैसे बना सकते है । इस तरह सप्तपदी की अवधारणा मनुष्य के चार पहलुओं धर्म ,अर्थ ,काम मोझ की साधना से बहुत गहरे स्तर पर जुड़ी हुई है । <span class="">सप्तपदी</span> के बारे में 'पारस्कर ' और वेदों में कहा गया है की यह रस्म निभाए बिना विवाह का कोई मतलब नही है । यहाँ तक की माता -पिता द्वरा कन्यादान कर दिए जाने के बाद भी विवाह को सम्पूर्ण नही माना जा सकता । जब तक कन्या ख़ुद सात कदम चलने की रस्म निभाने का निर्णय न ले । इसके बाद ही दुल्हन ,दुल्हे के बांये आकर पत्नी के रूप में स्थान लेती है । सप्तपदी ही एक ऐसी रस्म है जो कन्या को पवित्र अग्नि को साक्षी मान कर वर चुनने का अधिकार देती है । इस रस्म को निभाते हुए दुल्हन विवाह के<span class=""> </span>हाँ करती है । और दुल्हे को अपने पति के रूप में वरण करती है । वेदों कहा गया है की कन्या को तब तक अविवाहित माना जाएगा जब तक की सप्तपदी की रस्म पूरी न हो जाए । अक्सर लोग फेरो को ही सप्तपदी समझ लेते है ,लेकिन ऐसा है नही । सप्तपदी अलग रस्म है और इसमे दूल्हा -दुल्हन दोनों साथ -साथ उत्तर -पूर्व की ओर चलते है । चलते हुए दुल्हन दाहिने तरफ होती है और दुल्हे का दायां हाथ उसके दाए कंधे पर होता है । दूल्हा -दुल्हन से कहता है ,अपने बाये पैर को दाए से आगे मत निकालना हर कदम पर दूल्हा -दुलहन एक संकल्प लेते है । यही तो सात वचन है और सही में विवाह के मायने भी यही समझ में आते है । <span style="color: magenta;">सामाजिक वा अदालतों के अनुभवों के आधार पर कुल मिलकर यह ही कहा जा सकता है की विवाह एक दूसरे को समझना ,</span> <span style="color: magenta;">एक दूसरे को मान और विश्वास देना ही विवाह है</span> । <span style="color: red;">सबसे ख़ास बात यह भी कही जा सकती है की परम्परागत विवाह हो या प्रेम विवाह सुखी वैवाहिक जीवन का आंकने का पैमाना नही है । </span><br />
</div><div align="left">जब मैं यह पोस्ट लिख रहा था तब उस समय मौजूद मेरे साथी ने कहा की वाह गुरु बहुत सही ,जिसका अनुभव नही उसमे अतिक्रमण । उस पर मैंने कहा की घोडी पर नही बैठे है तो क्या हुआ बराती तो बहुत बने है ।<br />
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</div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-17017498339130225952009-06-02T02:15:00.000-07:002009-06-15T03:10:19.255-07:00साडी की शालीनताहमारे देश के पिछडे इलाको मे लड़कियां छोटी उम्र मे ही धोती पहनने लगती है । काम करते वक्त ,खेलते समय अन्य कामो को करते समय -कभी सामने से ,कभी पीछे से कमर से तो कभी बैठते -उठते उनकी धोती अपने स्थान पर नही होती है तो उनको 'सामना ढक,घुटने मोड़ कर बैठ, पैर फैला कर मत बैठ जैसे वाक्यों की हिदायत मिल जाती है '। वैसे तो पहले सभी वर्ग मे लड़कियां साडी पहनती थी ,लेकिन वक्त बदला तो पहनावे मे बदलाव हुआ और शहरी इलाको मे लड़कियां सूट आदि वस्त्र पहनने लगी ।<br />देखा जाए तो साडी एक अनसिला और जल्दी अस्त -व्यस्त पहने जाने वाला कपड़ा है । अक्सर बसों मे महिलाओं को एक हाथ मे साडी का पल्लू और प्लेट ( पटलियां ) , दूसरे से अपना सामान थामे ,मुश्किल से बस ,ट्रेन मे चड़ते,उतरते ,लड़खाते ,गिरते ,सभलते देखा जा सकता है । कभी तो गले से पल्लू खिसकता है ,कभी कमर से साडी नीचे आती है ,कभी पैरों मे फंसती है तो कभी रिक्शा मे फंसती है।<br />इन सब के बाबजूद साडी शालीनता का पहचान -पत्र है ..........<br />साडी छ गज का बिना सिला हुआ ,खुला कपड़ा होती है उसे कैसे लपेटा ,बांधा या ड्रेप किया जाता है .उसी से उसे आकार मिलता है । जापानी किमोन भी खुला कपड़ा होता है जिसे कमर पर एक चौडी बेल्ट से बाँध लिया जाता है। किमोन से ही ड्रेप की तकनीक को भी नया रूप मिला ।<br />'फ्रांस की फैशन डिजाइनर ग्रेवरिपल कोको शिनेल ने लन्दन की महिलाओं को 'कोरसिंट 'और जमीन पर रपटते ,घिसटते 'वॉल गाऊन' से मुक्ति दिलाई । इन्होने ही महिलाओं के लिए पुरूषों की 'वार्डरोब ' खोल दी ।<br />शिनेल ने ही सबसे पहले महिलाओं के सैंडल के पीछे स्ट्रे़प लगाया ,ताकि उन्हें चलने मे सुविधा हो और सैंडल पैर से बाहर ना निकले ।<br />अब तो फैशन शो मे रैंप पर मॉडल साडी को अलग तरीके से पहनती है । हिन्दी सीरियल ,पेज थ्री की महिलांए तो साडी को नाम मात्र के ब्लाऊज के साथ पहन रही है । तो साडी की शालीनता पर आप का क्या विचार है ?क्या साडी के विकल्प मे कुछ ओर हो सकता है ?"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-68088495260760332542009-05-31T03:39:00.000-07:002009-05-31T04:15:34.042-07:00दोस्ती ....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDYBpD5QnPcY_qHuAfuiuSUfvknpu3x-ZYR72SEAGoJfgrJ7XQ1qTNppAEkKGGokdqahKrFjj_nsMl6_L4w2toEIhEHxrVh9bVY3_MXquK16rkHYlKaKroqHY2n9yHxwBV4GMzkgo3klvY/s1600-h/100_2922.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5341944777937926914" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDYBpD5QnPcY_qHuAfuiuSUfvknpu3x-ZYR72SEAGoJfgrJ7XQ1qTNppAEkKGGokdqahKrFjj_nsMl6_L4w2toEIhEHxrVh9bVY3_MXquK16rkHYlKaKroqHY2n9yHxwBV4GMzkgo3klvY/s320/100_2922.JPG" border="0" /></a><br /><div></div><br /><p align="left">ये दोस्ती क्या होती है ?</p><br /><p align="left">कहाँ <span class="">जन्म </span>लेती है ,कहाँ <span class="">खत्म </span>होती <span class="">है ?</span></p><br /><p align="left"><span class="">उगते सूरज के साथ उसकी पहर होती है </span></p><br /><p align="left"><span class="">हवाओं <span class="">में </span></span>संगीत के साथ उसकी भी लहर होती है । </p><br /><p align="left">सांझ होते ही वो स्तंभ क्यों होती है ?</p><br /><p align="left">ये दोस्ती क्या होती है .......कहाँ जन्म लेती है ,कहाँ <span class="">खत्म </span>होती है ?</p><br /><p align="left"><span class="">सीप </span>की रोशनी <span class="">अन्दर </span>ही बंद रहती है ,</p><br /><p align="left">विचारो के समंदर <span class="">मे </span>सदियों से बहती हुई जिन्दगी का परिचय करती हुई ,</p><br /><p align="left"><span class="">दोस्ती </span>तो <span class="">मोती </span>होती है जिस पर हम जीते है ,</p><br /><p align="left">दोस्ती तो विश्वास होती है जिस पर हम जीते है । </p><br /><p align="left">दोस्ती तो मीठी मुस्कान होती है । </p><br /><p align="left">दोस्ती तो फूल की महक होती है जिस पर हम जीते है </p><br /><p align="left">दोस्ती तो जिन्दगी की सहर होती है </p><br /><p align="left">ये दोस्ती कहाँ जन्म लेती है कहाँ ख़त्म होती है ......... । </p><br /><p align="left"></p><br /><p align="left"><span class=""><span class="">" उन</span> </span>दोस्तों को जो मेरे दिल करीब है। "</p>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-76451261863985186702009-05-30T21:26:00.000-07:002009-06-01T02:27:35.018-07:00तम्बाकू निषेध दिवस<div align="center">"एक सिरे पर आग ,दूसरे पर आदमी फासला सिर्फ़ ढाई इंच "</div><div align="left">आज तम्बाकू निषेध दिवस है यह बात सबको मालूम है और तम्बाकू का प्रयोग करने वाले <span class="">लोगो</span> को यह भी मालूम होता है की इससे क्या नुकसान है ......बस लत होने के चलते छोड़ नही पाते । </div><div align="left">सिर्फ़ लोग जागरूक नही है, वैसे भी जब सबको यह मालूम होता है की रेड लाइट क्रास करने पर फाइन हो सकता है फ़िर भी नियमो को तोड़ते है । चूकी मामला जीवन और परिवार का है इसलिए अपने लिए नही सही, अपने परिवार के लिए ही तम्बाकू से बचे । </div><div align="left"></div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-5205726934217791092009-05-29T07:48:00.000-07:002009-05-30T10:31:00.152-07:00मुझे वर चाहिए..........<div align="left">उम्र सत्ताईस वर्ष ,कद पॉँच फुट तीन इंच</div><div align="left"><span class=""></span>रंग सांवला ,रूप रिझाने मे असमर्थ </div><div align="left">एक हाथ मे एम ए की डिग्री </div><div align="left">दूजे मे लाज मेरी </div><div align="left">खड़ी मैं मूक ,बोलती है वेदना </div><div align="left">की क्या मुझसे कोई ब्याह करेगा ?</div><div align="left">दहेज़ की मार से अधमरे ,</div><div align="left">मेरे माँ-बाप का उद्धार करेगा । </div><div align="left">बुत बने से हम कहीं आते जाते नही </div><div align="left">फ़िर भी लोग घाव देने से बाज आते नही </div><div align="left">रोज ही देखने आते है लड़के वाले </div><div align="left">मैं दिखाई जाती हूँ ,कई आंखों से बार -बार उघाड़ी जाती हूँ । </div><div align="left">कभी सूरत से ,कभी गाड़ी से ,कभी पैसे से मापी जाती हूँ । </div><div align="left">और हर बार की तरह ही नकारी जाती हूँ ,</div><div align="left">मन समझ नही पाता किस बात की सजा पाती हूँ </div><div align="left">स्वप्न मे दिखती हैं हम उम्र ,</div><div align="left">हजारो लड़कियों की अस्थियाँ </div><div align="left">कोई अनब्याही मरी ,कोई दहेज़ की मार से मरी </div><div align="left">तो कोई माँ-बाप को मुक्त कर सूली चढी</div><div align="left"><span class="">उनकी दर्द भरी चीखों से कांप जाती हूँ </span></div><div align="left"><span class="">चिता सी आग से झुलस जाती हूँ </span></div><div align="left"><span class="">फ़िर भी खत्म नही होती जिजीविषा </span></div><div align="left"><span class=""><span class="">इस</span> आस मे साँस चलती है कि</span></div><div align="left"><span class="">उठेगी मेरी भी कभी डोली । </span></div><div align="left"> </div><div align="left"><span class=""></span> </div><div align="left">साभार <span class="">: rachna kaar >सुमन</span> सिंह, वाराणसी </div><div align="center">यह रचना मुझे <span class="">बहती</span> हुई नाली मे मिली थी । पानी से उठाते वक्त सोचा भी न था की.........कम से कम मुझे सोचने को मजबूर कर देगी । </div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-65970251944004725142009-05-24T23:45:00.000-07:002009-05-24T00:30:18.802-07:00अनाम सा रिश्ता .....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWvWaO9ZyXD1dtNNX6TfGsqaPZE6JyMk9AjURc-o3mBQj4c7iz4oXb3ejr0fgtCjOZ4YfoCGeJ-WbRqH4v-hBvR3R9GxiPaDEPEH1lCqD5Jjwz-H3id4psC7sMI4bLA7xBUDHics0ZzG_E/s1600-h/Image195.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5339289357822375266" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWvWaO9ZyXD1dtNNX6TfGsqaPZE6JyMk9AjURc-o3mBQj4c7iz4oXb3ejr0fgtCjOZ4YfoCGeJ-WbRqH4v-hBvR3R9GxiPaDEPEH1lCqD5Jjwz-H3id4psC7sMI4bLA7xBUDHics0ZzG_E/s320/Image195.jpg" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizJaxPY7wrsLXhHZfDAkN9Dt3h0ssstGoRsb4UxvE6sRYxk5hSZ-E6wGSOGx-QawMnRV7g_oZspLGvnfnbms7intJ-Ahq01omPlb4NhG5EY2-OCxUi4DGrcZxnK7cD5sweTQgcIIhJl67d/s1600-h/Image195.jpg"></a><br /><br /><div align="center">देह गंध से परे,एक अनाम सा रिश्ता है ,</div><br /><br /><div align="center">मन का मन से । </div><br /><br /><div align="center">सुवासित है जो यादों की महक से ,</div><br /><br /><div align="center">इसमे हँसी की खनखनाहट है। </div><br /><br /><div align="center">क्रंदन स्वर भी है जो ले जाता है, पाताल की गहराई में ,</div><br /><br /><div align="center">कभी पहुँचाता है, आकाश की उंचाइयों तक । </div><br /><br /><div align="center">और कभी एक भर पूर जीवन को शून्य मे लटका देता है, </div><br /><br /><div align="center">सोचता हूँ ............................... । </div><br /><br /><div align="center">इस रिश्ते को अब नाम दे दूँ </div><br /><br /><div align="center">और मुक्त हो जाऊं सरे बन्धनों से। </div></div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-85874177144944559582009-05-24T13:00:00.000-07:002009-05-24T00:32:20.132-07:00हक़ तो देना होगाआज के नये दौर मे नि :सकोंच होकर लड़कियां अपने परिवार वालो को सहमत कर जीवन साथी के बारे फ़ैसला ख़ुद कर रही हैं जो आज के समय के अनुसार सही भी है । वैसे अक्सर लोग बातचीत में भारत मे तलाक़ की बढती सख्या का दोष मोडर्न कल्चर को देते है लेकिन यह नही देखते की विवाह के मसलो पर लड़के -लड़कियों कि क्या राय<span class=""> है , </span>बल्कि किसी न किसी तरह का दबाब बनाकर शादी कर दी जाती है जिसका रिजल्ट और ही कुछ होता है ।<br />वैसे मै बिना झिझक के कह सकता हूँ कि मेरी क्या राय है । और मै हर लड़की से कहूँगा कि "उस को यह अधिकार है कि वे ख़ुद फ़ैसला करे कि उसका पति उसके लायक है या नही .......... । यह बिल्कुल सही नही है कि लड़की को उसका पति उसे पूर्ण bnaata है । वैवाहिक जीवन तभी सफल हो सकता है , जब दोनों एक दूसरे पर विश्वास कर जीवन को सफल बनाये । जिस रिश्ते मे 100 % ईमानदारी होगी उस रिश्ते को तभी तो हम "मेड फॉर इच अदर "कहेंगे ।<br />पिछले एशियन गेम मे लेबनान युद्ध की मार से बचने के बाद कतर की नर्स नदा जेदान ने देश की और से मशाल थामी थी जो दुनिया की औरतों के लिए मिसाल बनी । सालो बाद कतर की ओर से कतर की किसी महिला ने बिना बुर्का पहने सड़क पर मशाल थामी । मीडिया के प्रश्न के जबाब मे नदा ने कहा था <span class="">की जीवन बहुत छोटा है और वे इसे टी वी देखकर या दुल्हे के इंतजार मे नही काट सकती । कितनी अच्छी बात कही नदा ने । इसके संदेश मे किती गहराई हैजिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है । </span>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-23484432067688417982009-05-24T10:53:00.000-07:002009-05-26T09:56:59.827-07:00जीवन सौरभ<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBaWLdQqBV9aox-5RFYdh9SFvG2XVlA8U1CU7lG5VW70tP7bqqc7EmefOopUWZy7JY0Xq2kwd4O9KmxAH1ql34U3G73UZ-M3lPtRWXw5dokMiG_FFvFuDH6prtNuGKKLJS8Z70PKoeFgZt/s1600-h/100_2534.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5340177009474587906" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBaWLdQqBV9aox-5RFYdh9SFvG2XVlA8U1CU7lG5VW70tP7bqqc7EmefOopUWZy7JY0Xq2kwd4O9KmxAH1ql34U3G73UZ-M3lPtRWXw5dokMiG_FFvFuDH6prtNuGKKLJS8Z70PKoeFgZt/s320/100_2534.JPG" border="0" /></a><br /><div align="center">जीवन के रणपथ पर देखो पुष्प कई और कांटे भी ,</div><br /><div align="center">सुख -दुःख की है नियति यही है वह साथ हैं आते -जाते ,</div><br /><div align="center">पर तुमको है आगे बढना यह नियति नही कुछ कर पायेगी ,</div><br /><div align="center">वह तो एक नियत नियति है निश्चित तुमको डराएगी ,</div><br /><div align="center">उठ कर गिर कर ,गिरकर उठ कर जब तुम इच्छित पाओगे ,</div><br /><div align="center">मानो सुमनों के बीच सौरभ को महकाओगे ,</div><br /><div align="center">जीवन उपवन हो जाएगा । </div><br /><div align="center">पुष्पित होगी हर इक डाली सुरभित हो समीर <span class=""></span></div><br /><div align="center"><span class=""></span>चहुं <span class="">ओर खिलेगी हरियाली । </span></div><br /><p></p><br /><p align="right">रचनाकार सुश्री पल्लवी मिश्रा की प्रथम रचना । </p>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-79063276554880344232009-05-17T02:48:00.000-07:002009-05-20T10:05:31.281-07:00हाँ मैने प्यार किया है ........हाँ मैने प्यार किया <span class="">है............... । </span>(<span class="">लेखक </span>ने नही ) यह शब्द थे एक युवती के , जिसने भरी अदालत <span class="">मे </span>अपने परिवार वालो के सामने कहे , ऐसा ही कुछ युवक ने भी कहा की हाँ हम लोग एक <span class="">दुसरे </span>को बे<span class="">इंतहा </span>चाहते है हम एक <span class="">दूसरे </span>के बिना नही जीना चाहते । युवती के परिवार वाले उस पर दबाब बना रहे थे की युवक को अपना पति मानने से इंकार कर <span class="">दे। </span>जिससे वो युवक पर अपहरण का मुकदमा लिखा देंगे और युवक <span class="">सारी </span>जिंदगी जेल की हवा खायेगा । परिवार वालों की चालाकी उसे समझ मे आ गई तो उसे भरी <span class="">अदालत </span>मे अपनी बहुत सी बाते बताई जिनसे वो गुजर रही थी और उसके bayan से एक बेगुनाह जेल जाते -जाते बचा , जो उसका पति था ।<br /><br />सबसे पहले तो उन दोनों के विश्वास को सलाम । <span class="">फुर्सत </span>के लम्हों मे जब मैने सवांददाता की हैसियत से बात की to वाकई मे उनसे बात करने mae मजा आ गया । दोनों का कहना था की प्यार ,एक छोटा सा शब्द है जिसमे समाई <span class="">है </span>संसार भर की खूबसूरती । प्यार एक ऐसा एहसास है ,जिसमे जिंदगी जीने का बहाना मिल जाता है । हर इन्सान के दिल मे एहसास बसा होता है ,बस जरुरत होती है इसकी, की अपने इस एहसास को कैसे कायम रखते है । जैसे एक फूल अच्छी देखbhal से hra -bahra होता है ,उसी तरह अपनी इस भावना को संभाल कर उसे खिलने देना ही अच्छा होता हो ।<br /><br />मैं तो दोनों की बातचीत या फ़िर आसपास वालो के देखकर यही कह सकता हूँ की "प्रेम का सबसे बडा <span class="">गुण </span>तो यह की वह आनंद के साथ दुख का वरण भी करता है ,क्योंकि दुख के माध्यम से ही <span class="">उसे </span>पूरी saflta मिलती <span class="">है, </span>bhawa wesh मे नही । सेवा , karm और tapasya के द्वारा जिस प्रेम का ढेर bnta है .वही प्रेम vishudh aur सफल hota hai ।"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-21851977351010581462009-05-16T08:16:00.001-07:002009-05-16T08:22:51.425-07:00बहने...."जब बाप गरज रहे होते हैं बाप जैसे ,<br />माँ रो रही होती है माँ जैसी ,<br />भाई खड़े रहते है भाई जैसे ,<br />तब कुछ भाई ,कुछ माँ ;कुछ बाप जैसी ,<br />प्रार्थना मे झुकी रहती है बहने।"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-83055069351274098922009-05-09T19:50:00.000-07:002009-05-09T22:44:47.916-07:00"माँ"हर शख्स की ' माँ ' के लिए ,जिसने जीवन जीने के लिए स्नेह भरा पहला स्पर्श व थपकी पाकर अपना जीवन सुरक्षित किया ।<br /><div align="center">"जिसकी बाँहों ने हमको सहारा दिया तब, जब हमारे कदम भी जमीं पर नही पड़े थे । </div><div align="center">किसी ने हमारे आसूं कभी न देखे हो पर उसके सामने हम न जाने कितनी बार बेझिझक रोये । </div><div align="center">खेलते वक्त लगी कोहनी ,घुटनों पर छोटी सी खरोचों से लेकर दिल पर लगी हर चोट को आपसे से अधिक उसने सहा । </div><div align="center">इम्तहान तो हमारे होते थे पर असली परीक्षा उसकी रही । </div><div align="center">हमारी कोई गलती भले ही उससे न छुपी हो पर हमारी हर गलती को उसने हर एक से छुपाया ।</div><div align="center"> हमारी हर कमजोरी को उसने अपनी ममता का मरहम लगाकर हर तरह से मजबूत बनाया । </div><div align="center">जो हमारी हर कामयाबी को देखर मुस्कराने मे ही खुश है ,उस "माँ " को शत -शत अभिनंदन । </div><div align="left"> </div><div align="left"> " दुनिया के हर जीव की माँओं को कोटि -कोटि नमन जिसमे ईश्वर बसता है "</div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-44089723723177795662009-03-23T02:31:00.000-07:002009-03-23T02:58:38.973-07:00वो रेत का घरोंदा<div align="center">बचपन की चाह ,वो रेत का घरोंदा ,</div><div align="center">बिखरी हुई रेत को समेट कर बनाया घरोंदा </div><div align="center">वो रेत का घरोंदा । </div><div align="center">मेरे साथ -साथ बड़ा हो गया ,</div><div align="center">वो रेत का घरोंदा ।</div><div align="center">बंद आखों में सहेज कर रखा है </div><div align="center">वो रेत का घरोंदा ,</div><div align="center">सांसो में बसा है ,</div><div align="center">वो रेत का घरोंदा </div><div align="center">हर pal sath रहता है बचपन में बनाया </div><div align="center">वो रेत का घरोंदा ,</div><div align="center">मेरे sapno में बसा है </div><div align="center">वो रेत का घरोंदा ,</div><div align="center">दिल के कोने मे सहेज कर रखा है ।</div><div align="center">udasi bhare chehre पर muskraht दे jata है ,</div><div align="center">badlti हुई दुनिया के rango मे भी aajij है </div><div align="center">वो रेत का घरोंदा । </div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-48163847942045144902009-03-22T09:45:00.000-07:002009-03-22T10:15:34.384-07:00" माँ ऐसी होती है "<div align="center">'प्यार से फुलाती है रोटियां ,</div><div align="center">गुस्से मे जलाती तवे पर रोटियां ,</div><div align="center">वे जली रोटियां ख़ुद ही खाती है </div><div align="center">जिस पर आया था गुस्सा ,</div><div align="center">माँ ऐसी होती है । </div><div align="center">उदासी में भूल जाती है </div><div align="center">सब्जी में नमक डालना और चाय में चीनी ,</div><div align="center">पति को दफ़तर,बच्चो को स्कूल भेजते हुए ,</div><div align="center">वे टिफिन में रख देती है अपना दिल ,</div><div align="center">मेहनत से बनी रोटियां का पसीना ,</div><div align="center">वो मीठा पसीना कितना अच्छा होता है ,</div><div align="center">रुंधे गले से चाहकर भी रोने की फुर्सत नही पा पाती , </div><div align="center">ऐसी होती है "माँ "</div><div align="center"></div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-58803271098739422312009-03-02T05:31:00.001-08:002009-05-24T00:34:07.863-07:00चुहलबाजी -जनहित मे जारी<ul><li><div align="center">यदि आप पत्नी से झूठ नही बोल सकते तो आप पति होने लायक नही है । </div></li><li><div align="center">पत्नी रो रही हो तो सहानभूति का प्रदर्शन कीजिये ,मुस्करा रही हो तो सतर्क हो जाए । </div></li><li><div align="center">बरातों मे विवाहित पुरष की पहचान --जो अच्छा व तेजी से नाच रहा हो ।<br />-----</div></li></ul>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8538826976789874137.post-84822126134090630762009-02-07T05:55:00.000-08:002009-02-13T19:28:07.599-08:00I LOVE YOU का अंकगणित<div align="justify"><span class="">"जानता</span> हूँ सब मगर दोस्तों ,ये दिल है जिधर आ गया ,आ गया "<br />सच्चा प्रेम मुखर नही होता ,मौन रहता है । सामने वाले को बिना बोले ही विश्वासऔर प्रेम का अहसास हो जाए तभी अपनेपन का मजा है । दोनों तरफ आग बराबर है, लेकिन इजहार नही हो <span class="">पा रहा </span>है समझ दोनों रहे है । तबही तो कबीरदास जी ने कहा है कि "मन मस्त हुआ तब क्या बोले "। नेह ,मुस्कराहट ,महत्व .मोह , माही,और मौन तो प्रेम को सबल बनाते है । इसलिए प्रेम कीजिये और प्रेम का आँगन आबाद बनाये रखिये । बस तेज भागती दुनिया ने आई लव यू जैसे जुमले की जगह 'अंकगणित' के 143 में बदल दिया है । इधर से 143तो उधर से भी 143बस हो गया प्यार । प्यार अंकगणित का पाठ नही है । क्योंकि 143के फेर में लोग देह का भूगोल पढ़ रहे है । तभी तो किसी ने कहा है की 'तन के तट पर मिले हम कई बार , द्वार मन का अब तक khula नही ,सैर करके चमन की क्या मिल हमे ,रंग कलियों का अब तक घुला नही । लोगो को देह के <span class="">भूगोल </span>की बजाये प्यार को अहसास में महसूस करना होगा ।</div><div align="justify"></div><div align="justify"><strong>{I-- 1, LOVE--4 , YOU--3 }</strong></div>"MIRACLE"http://www.blogger.com/profile/08467318918572554916noreply@blogger.com2