दूर कहीं उस पार क्षितिज के , रहती मन की यादें
ले आती आँचल में अपने ,बीती यादों के लम्हे ,
लेकर खुशिओं का खजाना ,यूं आंखों में उतर आती है यादें ।
जैसे सूरज की किरणों से खिलती सागर की लहरें ,
ले जाती है इस भावुक मन को ,नील गगन में ऐसे ,
हसीं तमन्नाओ के सौदागर हो जैसी......... ।
चहुँ ओर खिले है पुष्प अनोखे ,
नई आस है मन में ............. ।
दूर कहीं उस पार ..... क्षितिज के..... ।
.......................
कभी -कभी कुछ शब्द यूही मन में आ जाते है और हम लोग इसको कागज पर उकेर देते है मेरे यह शब्द भी उसका ही हिस्सा है ।
ma
4 comments:
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती
सुंदर रचना... वाह..
man ki baate hi sundar hoti hai or man ko chhuti bhi hai ,jai hind .
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