Friday, December 05, 2008

कोई मेरा बचपन वापस ला दे ?

" मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा बड़ों की देखकर दुनिया ,
बड़ा होने से डरता है । "
कोई मेरा बचपन वापस ला दे । मुझे अब कुछ नही लेना है बस कोई मेरा बचपन ला दे ,क्योकि बचपन ही तो राज -सिंहहासन था जिसे हमने पीछे छोड़ दिया । अब बड़ों की दुनिया में मन नही लगता ,अब लगता है की बचपन ही तो राज सिंहहासन था ।
कागज़ की कश्ती थी ,
पानी का किनारा था ,
खेलने की मस्ती थी ,
दिल ये आवारा था ,
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादाँ बचपन कितना प्यारा था ......

Thursday, December 04, 2008

मुंबई पर हमला यानि देश पर हमला

बहुत हो गया ,अब तो आसुओं के साथ लोगो का खून बहने लगा है । अब सिर्फ़ दबाब बनाने से काम नही चलने वाला या जुबानी जमा खर्च का समय नही है ,कारगर फैसलों पर अमल करने का वक्त है। अब गर्जना होगा । क्योंकि आतंकवादी घटनाओं के बीच का वक्त लगातार घटा जा रहा है । समय आ गया है की हमें अपनी लड़ाई ख़ुद से लड़नी होगी हमारे नेता लोग ऐ .सी. रूम में सो रहे है । इस घटना से साफ़ पता चल गया की देश की गुप्तचर एजेंसीयों में आपसी तालमेल की भारी कमी है वैसे नौ सेना की लापरवाही को भी अनदेखा नही किया जा सकता है क्योकि मुंबई के तटों का जिम्मा तो नौ सेना का ही तो है इस नाते जबाब देही तो नौ सेना की भी है।
आतंकवादी सफल हो रहे है और खुफिया तंत्र असफल हो रहा है चिंता का विषय है ।
आक्रोश के साथ ,बस इतना ही ।