Thursday, December 04, 2008

मुंबई पर हमला यानि देश पर हमला

बहुत हो गया ,अब तो आसुओं के साथ लोगो का खून बहने लगा है । अब सिर्फ़ दबाब बनाने से काम नही चलने वाला या जुबानी जमा खर्च का समय नही है ,कारगर फैसलों पर अमल करने का वक्त है। अब गर्जना होगा । क्योंकि आतंकवादी घटनाओं के बीच का वक्त लगातार घटा जा रहा है । समय आ गया है की हमें अपनी लड़ाई ख़ुद से लड़नी होगी हमारे नेता लोग ऐ .सी. रूम में सो रहे है । इस घटना से साफ़ पता चल गया की देश की गुप्तचर एजेंसीयों में आपसी तालमेल की भारी कमी है वैसे नौ सेना की लापरवाही को भी अनदेखा नही किया जा सकता है क्योकि मुंबई के तटों का जिम्मा तो नौ सेना का ही तो है इस नाते जबाब देही तो नौ सेना की भी है।
आतंकवादी सफल हो रहे है और खुफिया तंत्र असफल हो रहा है चिंता का विषय है ।
आक्रोश के साथ ,बस इतना ही ।

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