आज के नये दौर मे नि :सकोंच होकर लड़कियां अपने परिवार वालो को सहमत कर जीवन साथी के बारे फ़ैसला ख़ुद कर रही हैं जो आज के समय के अनुसार सही भी है । वैसे अक्सर लोग बातचीत में भारत मे तलाक़ की बढती सख्या का दोष मोडर्न कल्चर को देते है लेकिन यह नही देखते की विवाह के मसलो पर लड़के -लड़कियों कि क्या राय है , बल्कि किसी न किसी तरह का दबाब बनाकर शादी कर दी जाती है जिसका रिजल्ट और ही कुछ होता है ।
वैसे मै बिना झिझक के कह सकता हूँ कि मेरी क्या राय है । और मै हर लड़की से कहूँगा कि "उस को यह अधिकार है कि वे ख़ुद फ़ैसला करे कि उसका पति उसके लायक है या नही .......... । यह बिल्कुल सही नही है कि लड़की को उसका पति उसे पूर्ण bnaata है । वैवाहिक जीवन तभी सफल हो सकता है , जब दोनों एक दूसरे पर विश्वास कर जीवन को सफल बनाये । जिस रिश्ते मे 100 % ईमानदारी होगी उस रिश्ते को तभी तो हम "मेड फॉर इच अदर "कहेंगे ।
पिछले एशियन गेम मे लेबनान युद्ध की मार से बचने के बाद कतर की नर्स नदा जेदान ने देश की और से मशाल थामी थी जो दुनिया की औरतों के लिए मिसाल बनी । सालो बाद कतर की ओर से कतर की किसी महिला ने बिना बुर्का पहने सड़क पर मशाल थामी । मीडिया के प्रश्न के जबाब मे नदा ने कहा था की जीवन बहुत छोटा है और वे इसे टी वी देखकर या दुल्हे के इंतजार मे नही काट सकती । कितनी अच्छी बात कही नदा ने । इसके संदेश मे किती गहराई हैजिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है ।
The worldwide economic crisis and Brexit
8 years ago
3 comments:
bilkul sahi baat miracle.aapki soch ko salaam.
maera bhi salaam kabul kare.aap jaise soch valo ki jarorat hai.bahut achacha laga ki aap ki aisi soch hai.
बहुत बढ़िया लगा आपने इतना अच्छा सोचा! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
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