Thursday, January 01, 2009

प्रार्थना

मैं वर्षों से के .डी .सिंह बाबू स्टेडियम (लखनऊ ) में टहलने या किसी खेल की रिपोटिंग करने के लिए जाता रहा हूँ । स्टेडियम के मुख्य द्वार पर लिखी प्रार्थना जो हमेशा मेरे जीवन पथ पर साथ रही और जब कभी मैंने ज़िन्दगी के मैदान में , जीत या हार से हाथ मिलाया तब इन लाइनों ने मुझे बेहतर बनाने में सहयोग किया । वैसे तो मैं पेशेवर खिलाड़ी तो नही हूँ लेकिन ईश्वर के द्वारा जीवन के खेल में खेलने वाला एक खिलाड़ी मात्र हूँ । बस यह प्रार्थना इस लिए यहाँ पर लिख रहा हूँ की शायद कही दूर देश के लोग भी जान ले की भारत के लोग हार -जीत पर ऐसा सोचते है ।

ऐ"हे ईश्वर , यदि मैं विजय का पात्र हूँ तो मुझे विजेता होने की शक्ति प्रदान करे ,लेकिन यदि मैं हारूं तो मुझे कापुरष नही अपितु एक बहादुर की तरह हार को ,स्वीकार करने की शक्ति दे ,यही मेरी प्रार्थना है । मुझे विजेताओं के गुजरने वाली राह पर उनके अभिनंदन के लिए खड़ी भीड़ में सम्मिलित होने और यह कहने की शक्ति दे की 'यह वे लोग है जो मुझसे बेहतर थे । "

"जिंदगी मे कभी रिश्तों को बनाये रखने की कोशिश मत कीजिये ,बस रिश्तों में जिंदगी बनाये रखिये"
(Rajshri Misra का एस एम एस से आया संदेश )