Saturday, May 09, 2009

"माँ"

हर शख्स की ' माँ ' के लिए ,जिसने जीवन जीने के लिए स्नेह भरा पहला स्पर्श व थपकी पाकर अपना जीवन सुरक्षित किया ।
"जिसकी बाँहों ने हमको सहारा दिया तब, जब हमारे कदम भी जमीं पर नही पड़े थे ।
किसी ने हमारे आसूं कभी न देखे हो पर उसके सामने हम न जाने कितनी बार बेझिझक रोये ।
खेलते वक्त लगी कोहनी ,घुटनों पर छोटी सी खरोचों से लेकर दिल पर लगी हर चोट को आपसे से अधिक उसने सहा ।
इम्तहान तो हमारे होते थे पर असली परीक्षा उसकी रही ।
हमारी कोई गलती भले ही उससे न छुपी हो पर हमारी हर गलती को उसने हर एक से छुपाया ।
हमारी हर कमजोरी को उसने अपनी ममता का मरहम लगाकर हर तरह से मजबूत बनाया ।
जो हमारी हर कामयाबी को देखर मुस्कराने मे ही खुश है ,उस "माँ " को शत -शत अभिनंदन ।
" दुनिया के हर जीव की माँओं को कोटि -कोटि नमन जिसमे ईश्वर बसता है "