Sunday, May 17, 2009

हाँ मैने प्यार किया है ........

हाँ मैने प्यार किया है............... । (लेखक ने नही ) यह शब्द थे एक युवती के , जिसने भरी अदालत मे अपने परिवार वालो के सामने कहे , ऐसा ही कुछ युवक ने भी कहा की हाँ हम लोग एक दुसरे को बेइंतहा चाहते है हम एक दूसरे के बिना नही जीना चाहते । युवती के परिवार वाले उस पर दबाब बना रहे थे की युवक को अपना पति मानने से इंकार कर दे। जिससे वो युवक पर अपहरण का मुकदमा लिखा देंगे और युवक सारी जिंदगी जेल की हवा खायेगा । परिवार वालों की चालाकी उसे समझ मे आ गई तो उसे भरी अदालत मे अपनी बहुत सी बाते बताई जिनसे वो गुजर रही थी और उसके bayan से एक बेगुनाह जेल जाते -जाते बचा , जो उसका पति था ।

सबसे पहले तो उन दोनों के विश्वास को सलाम । फुर्सत के लम्हों मे जब मैने सवांददाता की हैसियत से बात की to वाकई मे उनसे बात करने mae मजा आ गया । दोनों का कहना था की प्यार ,एक छोटा सा शब्द है जिसमे समाई है संसार भर की खूबसूरती । प्यार एक ऐसा एहसास है ,जिसमे जिंदगी जीने का बहाना मिल जाता है । हर इन्सान के दिल मे एहसास बसा होता है ,बस जरुरत होती है इसकी, की अपने इस एहसास को कैसे कायम रखते है । जैसे एक फूल अच्छी देखbhal से hra -bahra होता है ,उसी तरह अपनी इस भावना को संभाल कर उसे खिलने देना ही अच्छा होता हो ।

मैं तो दोनों की बातचीत या फ़िर आसपास वालो के देखकर यही कह सकता हूँ की "प्रेम का सबसे बडा गुण तो यह की वह आनंद के साथ दुख का वरण भी करता है ,क्योंकि दुख के माध्यम से ही उसे पूरी saflta मिलती है, bhawa wesh मे नही । सेवा , karm और tapasya के द्वारा जिस प्रेम का ढेर bnta है .वही प्रेम vishudh aur सफल hota hai ।