Saturday, February 07, 2009

I LOVE YOU का अंकगणित

"जानता हूँ सब मगर दोस्तों ,ये दिल है जिधर आ गया ,आ गया "
सच्चा प्रेम मुखर नही होता ,मौन रहता है । सामने वाले को बिना बोले ही विश्वासऔर प्रेम का अहसास हो जाए तभी अपनेपन का मजा है । दोनों तरफ आग बराबर है, लेकिन इजहार नही हो पा रहा है समझ दोनों रहे है । तबही तो कबीरदास जी ने कहा है कि "मन मस्त हुआ तब क्या बोले "। नेह ,मुस्कराहट ,महत्व .मोह , माही,और मौन तो प्रेम को सबल बनाते है । इसलिए प्रेम कीजिये और प्रेम का आँगन आबाद बनाये रखिये । बस तेज भागती दुनिया ने आई लव यू जैसे जुमले की जगह 'अंकगणित' के 143 में बदल दिया है । इधर से 143तो उधर से भी 143बस हो गया प्यार । प्यार अंकगणित का पाठ नही है । क्योंकि 143के फेर में लोग देह का भूगोल पढ़ रहे है । तभी तो किसी ने कहा है की 'तन के तट पर मिले हम कई बार , द्वार मन का अब तक khula नही ,सैर करके चमन की क्या मिल हमे ,रंग कलियों का अब तक घुला नही । लोगो को देह के भूगोल की बजाये प्यार को अहसास में महसूस करना होगा ।
{I-- 1, LOVE--4 , YOU--3 }