Friday, August 21, 2009

ब्लॉग की दुनिया में एक साल का सफर ....पहली वर्षगाँठ

वो खेल वो साथी वो झूले ,
वो दौड़ के कहना आ छू ले ।
हम आज तलक भी न भूले ,
वो ख्वाब सुहाना बचपन का।
इस गीत की लाइनों ने मुझे अपने ब्लॉग बनाये जाए वाले दिन याद दिला दिया क्योंकि जब हम कोई खेल खेलना नही जानते है तब हम सिर्फ़ दूर से देख कर मन मसोस कर जाते है की काश हम भी खेल लेते । कमोबेश कुछ ऐसे ही मेरे साथ हो रहा था जब मैं दूसरो को ब्लॉग लिखते देख रहा था । क्योंकी इस बावरे कंप्यूटर से मेरा कम परिचय था बस मतलब भर कि दोस्ती थी या कह सकता हूँ कि इस मतलब भर दोस्ती से मेरी नौकरी बची हुई थी
.....बस एक दिन मैने अपने विवेक भइया कहा कि भइया ब्लॉग कैसे बनाते है ...बस जी भाई ने जरा सी देर में मुझे ब्लॉगर बना दिया । पहले मैं सोचता कि यार यह कंप्यूटर पर कैसे ब्लॉग लिखते है ...कैसे करते होंगे ..लेकिन जब मै ब्लॉग कि दुनिया मे आया तो ब्लॉग कि दुनिया इतनी अच्छी लगी कि पता ही नही चला कि कब एक साल का सफर तय कर लिया । ब्लॉग कि दुनिया लोगो ने मेरा स्वागत किया और प्रोत्साहित किया, उसके लिए मेरी ओर से तहे -दिल से शुक्रिया .............बस यूही साथ बनाये रखियेगा ................... ।
" पार ब्रह्म परमेश्वर सगुन रूप सियाराम, जो आवै इस द्वार पर सबको सीताराम "

Monday, August 17, 2009

यादें......

दूर कहीं उस पार क्षितिज के , रहती मन की यादें
ले आती आँचल में अपने ,बीती यादों के लम्हे ,
लेकर खुशिओं का खजाना ,यूं आंखों में उतर आती है यादें ।
जैसे सूरज की किरणों से खिलती सागर की लहरें ,
ले जाती है इस भावुक मन को ,नील गगन में ऐसे ,
हसीं तमन्नाओ के सौदागर हो जैसी......... ।
चहुँ ओर खिले है पुष्प अनोखे ,
नई आस है मन में ............. ।
दूर कहीं उस पार ..... क्षितिज के..... ।
.......................
कभी -कभी कुछ शब्द यूही मन में आ जाते है और हम लोग इसको कागज पर उकेर देते है मेरे यह शब्द भी उसका ही हिस्सा है ।
ma