Tuesday, June 02, 2009

साडी की शालीनता

हमारे देश के पिछडे इलाको मे लड़कियां छोटी उम्र मे ही धोती पहनने लगती है । काम करते वक्त ,खेलते समय अन्य कामो को करते समय -कभी सामने से ,कभी पीछे से कमर से तो कभी बैठते -उठते उनकी धोती अपने स्थान पर नही होती है तो उनको 'सामना ढक,घुटने मोड़ कर बैठ, पैर फैला कर मत बैठ जैसे वाक्यों की हिदायत मिल जाती है '। वैसे तो पहले सभी वर्ग मे लड़कियां साडी पहनती थी ,लेकिन वक्त बदला तो पहनावे मे बदलाव हुआ और शहरी इलाको मे लड़कियां सूट आदि वस्त्र पहनने लगी ।
देखा जाए तो साडी एक अनसिला और जल्दी अस्त -व्यस्त पहने जाने वाला कपड़ा है । अक्सर बसों मे महिलाओं को एक हाथ मे साडी का पल्लू और प्लेट ( पटलियां ) , दूसरे से अपना सामान थामे ,मुश्किल से बस ,ट्रेन मे चड़ते,उतरते ,लड़खाते ,गिरते ,सभलते देखा जा सकता है । कभी तो गले से पल्लू खिसकता है ,कभी कमर से साडी नीचे आती है ,कभी पैरों मे फंसती है तो कभी रिक्शा मे फंसती है।
इन सब के बाबजूद साडी शालीनता का पहचान -पत्र है ..........
साडी छ गज का बिना सिला हुआ ,खुला कपड़ा होती है उसे कैसे लपेटा ,बांधा या ड्रेप किया जाता है .उसी से उसे आकार मिलता है । जापानी किमोन भी खुला कपड़ा होता है जिसे कमर पर एक चौडी बेल्ट से बाँध लिया जाता है। किमोन से ही ड्रेप की तकनीक को भी नया रूप मिला ।
'फ्रांस की फैशन डिजाइनर ग्रेवरिपल कोको शिनेल ने लन्दन की महिलाओं को 'कोरसिंट 'और जमीन पर रपटते ,घिसटते 'वॉल गाऊन' से मुक्ति दिलाई । इन्होने ही महिलाओं के लिए पुरूषों की 'वार्डरोब ' खोल दी ।
शिनेल ने ही सबसे पहले महिलाओं के सैंडल के पीछे स्ट्रे़प लगाया ,ताकि उन्हें चलने मे सुविधा हो और सैंडल पैर से बाहर ना निकले ।
अब तो फैशन शो मे रैंप पर मॉडल साडी को अलग तरीके से पहनती है । हिन्दी सीरियल ,पेज थ्री की महिलांए तो साडी को नाम मात्र के ब्लाऊज के साथ पहन रही है । तो साडी की शालीनता पर आप का क्या विचार है ?क्या साडी के विकल्प मे कुछ ओर हो सकता है ?

Sunday, May 31, 2009

दोस्ती ....



ये दोस्ती क्या होती है ?


कहाँ जन्म लेती है ,कहाँ खत्म होती है ?


उगते सूरज के साथ उसकी पहर होती है


हवाओं में संगीत के साथ उसकी भी लहर होती है ।


सांझ होते ही वो स्तंभ क्यों होती है ?


ये दोस्ती क्या होती है .......कहाँ जन्म लेती है ,कहाँ खत्म होती है ?


सीप की रोशनी अन्दर ही बंद रहती है ,


विचारो के समंदर मे सदियों से बहती हुई जिन्दगी का परिचय करती हुई ,


दोस्ती तो मोती होती है जिस पर हम जीते है ,


दोस्ती तो विश्वास होती है जिस पर हम जीते है ।


दोस्ती तो मीठी मुस्कान होती है ।


दोस्ती तो फूल की महक होती है जिस पर हम जीते है


दोस्ती तो जिन्दगी की सहर होती है


ये दोस्ती कहाँ जन्म लेती है कहाँ ख़त्म होती है ......... ।



" उन दोस्तों को जो मेरे दिल करीब है। "