Sunday, October 04, 2009

दोस्ताना हमारा ........

रात जब अपने पूरे कगार पर थी ,
तब कलम मेरे हाथ में थी
और साथ उन सभी पुराने दोस्तों का ,
जिनके साथ, मेरा साथ है कुछ सालों का ,
यह दोस्त पुराने तो है , सही मगर.................
यह देते है एक एहसास .......
जो रात की शुरुआत से सुबह तक ।
फ़िर उजाले की भीड़ मे खो जाते है ,
यह दोस्त है ...सन्नाटे ,खामोशी
यह सिलसला है पुराना
मगर फ़िर भी है .......दोस्ताना हमारा ।


मन की बात --" जिंदगी की कामयाबी के लिए यह बहुत जरुरी है की हमारे जीवन main चिंतन तथा सृजनशीलता की सहभागिता हो और हमारा मन उल्लास और प्रफुल्लता से परिपूर्ण हो । "

3 comments:

deepak said...

Arunji, its really a nice poem. anyway how are you.

Vishnumaya said...

jis shabd se viswas uth sa gya tha use phi aapki is abhivyakti ne ek naya bharosa dila diya.
bahut pyari abhivykti h bhaiya.

ज्योति सिंह said...

bahut sundar kavita .dosti kabhi nahi bhulayi jaati .