Thursday, January 28, 2010
दोस्ती --तमाम खूबसूरत रिश्तों में से एक रिश्ता........
दोस्त बनना या बनाना हमारी व्यक्तिगत भावनाए होती है जिससे कोई अजनबी इन्सान हमारा अच्छा साथी साबित होता है . कोई हम उम्रर इन्सान हमारे साथ काम करता हो , पढ़ या खेल रहा हो वो दोस्त बन जाये वो मार्गदर्शक तो हो सकता है लेकिन जरुरी नहीं कि एक अच्छा दोस्त बने . दोस्ती के लिए समय चाहिए जिससे एक दुसरे को समझा जा सकें . हममें से ज्यादा तर लोग यह सोचते हैं कि जो इन्सान हमारी पहचान का समर्थन या सहयोग करते है वो ही हमारे सच्चे दोस्त है बल्कि मेरे हिसाब से ऐसी बातें आत्म मोह वाली होती है .जब वक्त गुजर जाता है तब पता चलता है कि हमने दोस्त बनाने में क्या गलती कि थी . आत्म मोह वाली बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है खास कर जब दो मेल -फीमेल दोस्त हो . एक सही दोस्त आपकी जिंदगी को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है
दोस्त बनाने के लिए हमको को न तो धर्म ,जाति देखने होते हैऔर न ही रुतबा . दोस्ती करने में सबसे बड़ी बात तो यह भी होती कि जन्म कुंडली मिलाने का कोई झन्झट नहीं है .इस खूबसूरत रिश्ते में सबसे खास बात यह भी होती कि लड़ाई हो जाने पर जब बिना बातचीत के नहीं रहा जाता तो बस हमको यह कहना होता है कि क्या बे ज्यादा दिमाग ख़राब है सॉरी बोल तो रहा हूँ देख आज तेरी वाली बड़ी अच्छी लग रही चल देख कर आते है और कुछ ऐसा ही लड़किओं कि तरफ भी होता है! ......फिर से दोस्ती का रंग शुरू हो जाता है ...
एक खूबसूरत कथन है," ईश्वर जब हमे अपने अनुकूल परिवार नहीं दे पाते तो वे दोस्तों को हमारी जिंदगी में भेजर हमसे माफ़ी मांग लेते है "
मन कि बात----दोस्त नाराज हो जाये तो उसे सौं बार मनाएं क्योंकि अच्छे दोस्त ढूंढे नहीं मिलते . एक वो ही इन्सान होता है जो स्वार्थ को दर किनार करके आपसे जुड़ता है . आप दुखी होते तो दोस्त को दुःख होता है ,जब आप हंस रहे होते तो तो वो भी आपके साथ हँस रहा होता है .
Tuesday, January 26, 2010
न लिखने की पीड़ा.........
काफी अरसे से लिखना नहीं हो पाया उसकी वजह थी की मै अपनी बहन डॉ प्रतिभा मिश्रा को हरि
प्रकाश शर्मा जी के साथ सात फेरे दिलाने में व्यस्त था फिर अपने आप से बहाना मारने मे तो मै अव्वल हूँ कोई न कोई बहाना .....यार कल से लिखते है अभी तो बहन की शादी की है कुछ दिन आराम कर लिया जाये । अख़बार के दफ्तर में तो लिख लेते ही है यह सोच कर पूरी तरह आराम कर लिया। अब लिखने का मन बना लिया है । उसके पीछे भी कारण है आज मेरे एक साथी न लिखने पर नाराजगी जाहिर की और कहा है की अबे इडियट नहीं लिखोगे तो तुम्हे अपने खाने -पीने का बिल अदा करवाउंगा ...वैसे भी वो पेशे से बकील है उसके दोनों हाथ दुसरे की जेब तलाशते रहते है । कविता ,कहानी से भी अधिक खतरा लेख लिखने में होता है । लेख लिखने में कोई वचाब नहीं हो पता और न काल्पनिकता का कोई बहाना ।खैर दोस्त तहे दिल se शुक्रिया ....अब कुछ दोस्ती पर ही लिखने की कोशिश करता हूँ ।
मन की बात ---नाराजगी को मत हावी होने दो और इसे अपने दिल में सहेज के भी मत रखो ,बोल दो । बातों से रिश्तों में पड़ी गांठ खुल जाती है ।
Tuesday, October 06, 2009
करवाचौथ........का बाजारीकरण
Sunday, October 04, 2009
दोस्ताना हमारा ........
मन की बात --" जिंदगी की कामयाबी के लिए यह बहुत जरुरी है की हमारे जीवन main चिंतन तथा सृजनशीलता की सहभागिता हो और हमारा मन उल्लास और प्रफुल्लता से परिपूर्ण हो । "
Saturday, September 26, 2009
अदब व तहजीब के शहर में मेट्रो की दस्तक........
Friday, August 21, 2009
ब्लॉग की दुनिया में एक साल का सफर ....पहली वर्षगाँठ
Monday, August 17, 2009
यादें......
Sunday, August 02, 2009
"फ्रैंडशिप डे" और ........ दोस्त......महिमा
हम लोगो ने मिल कर खूब मजे किए।मैने उसको कुछ जादू करके दिखाए उसने भी मुझे हाथ की सफाई के कमाल करके के दिखाए जो उसको औरों से अलग करती है ।
महिमा के पापा ने बताया की महिमा की याददाश्त बड़ी गजब की है सालों - साल पुरानी बातें कभी नही भूलती है । महिमा की अच्छी याददाश्त के लिए उसके पापा -मम्मी अपने इलाके में जाने जाते है। और यह कहा जाता की इनकी बेटी खूबिओं का भंडार है। ,महिमा के पापा का कहना था की हम लोगो को गर्व है की महिमा के हम पापा -मम्मी है और खुशी तब और होती है जब हमें लोग हमारी बेटी के नाम से बुलाते है । bareilly आते -आते हम दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे क्योंकि हम दोनों ने अगली मुलाकात पक्की करने के लिए फ़ोन नंबर एक दुसरे को दे चुके थे । मैने महिमा से जल्दी मिलने का वादा कर उससे विदा ली .....जाते वक्त पलट कर जब मैने देखा तो दूर से ही मुस्करा कर हाथ हिला रही थी। आज बहुत से दोस्तों के फ्रैंडशिप डे पर फ़ोन तो आए लेकिन जो सकूँ महिमा के साथ आया वो सुख किसी से नही मिल पाया ....... ।
मन की बात-: "माँ -पिता के लिए इससे अच्छी बात हो ही नही सकती की वो अपने बच्चों के नाम से जाने जाए ,खास कर बेटियों के माँ -पिता को ........."
Monday, June 29, 2009
शाम -ए-अवध की महक
----एलिस हॉफमैंन
Wednesday, June 24, 2009
Monday, June 22, 2009
यह बंधन है भावनाओं का ---- सात फेरे
Tuesday, June 02, 2009
साडी की शालीनता
देखा जाए तो साडी एक अनसिला और जल्दी अस्त -व्यस्त पहने जाने वाला कपड़ा है । अक्सर बसों मे महिलाओं को एक हाथ मे साडी का पल्लू और प्लेट ( पटलियां ) , दूसरे से अपना सामान थामे ,मुश्किल से बस ,ट्रेन मे चड़ते,उतरते ,लड़खाते ,गिरते ,सभलते देखा जा सकता है । कभी तो गले से पल्लू खिसकता है ,कभी कमर से साडी नीचे आती है ,कभी पैरों मे फंसती है तो कभी रिक्शा मे फंसती है।
इन सब के बाबजूद साडी शालीनता का पहचान -पत्र है ..........
साडी छ गज का बिना सिला हुआ ,खुला कपड़ा होती है उसे कैसे लपेटा ,बांधा या ड्रेप किया जाता है .उसी से उसे आकार मिलता है । जापानी किमोन भी खुला कपड़ा होता है जिसे कमर पर एक चौडी बेल्ट से बाँध लिया जाता है। किमोन से ही ड्रेप की तकनीक को भी नया रूप मिला ।
'फ्रांस की फैशन डिजाइनर ग्रेवरिपल कोको शिनेल ने लन्दन की महिलाओं को 'कोरसिंट 'और जमीन पर रपटते ,घिसटते 'वॉल गाऊन' से मुक्ति दिलाई । इन्होने ही महिलाओं के लिए पुरूषों की 'वार्डरोब ' खोल दी ।
शिनेल ने ही सबसे पहले महिलाओं के सैंडल के पीछे स्ट्रे़प लगाया ,ताकि उन्हें चलने मे सुविधा हो और सैंडल पैर से बाहर ना निकले ।
अब तो फैशन शो मे रैंप पर मॉडल साडी को अलग तरीके से पहनती है । हिन्दी सीरियल ,पेज थ्री की महिलांए तो साडी को नाम मात्र के ब्लाऊज के साथ पहन रही है । तो साडी की शालीनता पर आप का क्या विचार है ?क्या साडी के विकल्प मे कुछ ओर हो सकता है ?
Sunday, May 31, 2009
दोस्ती ....
ये दोस्ती क्या होती है ?
कहाँ जन्म लेती है ,कहाँ खत्म होती है ?
उगते सूरज के साथ उसकी पहर होती है
हवाओं में संगीत के साथ उसकी भी लहर होती है ।
सांझ होते ही वो स्तंभ क्यों होती है ?
ये दोस्ती क्या होती है .......कहाँ जन्म लेती है ,कहाँ खत्म होती है ?
सीप की रोशनी अन्दर ही बंद रहती है ,
विचारो के समंदर मे सदियों से बहती हुई जिन्दगी का परिचय करती हुई ,
दोस्ती तो मोती होती है जिस पर हम जीते है ,
दोस्ती तो विश्वास होती है जिस पर हम जीते है ।
दोस्ती तो मीठी मुस्कान होती है ।
दोस्ती तो फूल की महक होती है जिस पर हम जीते है
दोस्ती तो जिन्दगी की सहर होती है
ये दोस्ती कहाँ जन्म लेती है कहाँ ख़त्म होती है ......... ।
" उन दोस्तों को जो मेरे दिल करीब है। "
Saturday, May 30, 2009
तम्बाकू निषेध दिवस
Friday, May 29, 2009
मुझे वर चाहिए..........
Sunday, May 24, 2009
अनाम सा रिश्ता .....
हक़ तो देना होगा
वैसे मै बिना झिझक के कह सकता हूँ कि मेरी क्या राय है । और मै हर लड़की से कहूँगा कि "उस को यह अधिकार है कि वे ख़ुद फ़ैसला करे कि उसका पति उसके लायक है या नही .......... । यह बिल्कुल सही नही है कि लड़की को उसका पति उसे पूर्ण bnaata है । वैवाहिक जीवन तभी सफल हो सकता है , जब दोनों एक दूसरे पर विश्वास कर जीवन को सफल बनाये । जिस रिश्ते मे 100 % ईमानदारी होगी उस रिश्ते को तभी तो हम "मेड फॉर इच अदर "कहेंगे ।
पिछले एशियन गेम मे लेबनान युद्ध की मार से बचने के बाद कतर की नर्स नदा जेदान ने देश की और से मशाल थामी थी जो दुनिया की औरतों के लिए मिसाल बनी । सालो बाद कतर की ओर से कतर की किसी महिला ने बिना बुर्का पहने सड़क पर मशाल थामी । मीडिया के प्रश्न के जबाब मे नदा ने कहा था की जीवन बहुत छोटा है और वे इसे टी वी देखकर या दुल्हे के इंतजार मे नही काट सकती । कितनी अच्छी बात कही नदा ने । इसके संदेश मे किती गहराई हैजिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है ।
जीवन सौरभ
रचनाकार सुश्री पल्लवी मिश्रा की प्रथम रचना ।
Sunday, May 17, 2009
हाँ मैने प्यार किया है ........
सबसे पहले तो उन दोनों के विश्वास को सलाम । फुर्सत के लम्हों मे जब मैने सवांददाता की हैसियत से बात की to वाकई मे उनसे बात करने mae मजा आ गया । दोनों का कहना था की प्यार ,एक छोटा सा शब्द है जिसमे समाई है संसार भर की खूबसूरती । प्यार एक ऐसा एहसास है ,जिसमे जिंदगी जीने का बहाना मिल जाता है । हर इन्सान के दिल मे एहसास बसा होता है ,बस जरुरत होती है इसकी, की अपने इस एहसास को कैसे कायम रखते है । जैसे एक फूल अच्छी देखbhal से hra -bahra होता है ,उसी तरह अपनी इस भावना को संभाल कर उसे खिलने देना ही अच्छा होता हो ।
मैं तो दोनों की बातचीत या फ़िर आसपास वालो के देखकर यही कह सकता हूँ की "प्रेम का सबसे बडा गुण तो यह की वह आनंद के साथ दुख का वरण भी करता है ,क्योंकि दुख के माध्यम से ही उसे पूरी saflta मिलती है, bhawa wesh मे नही । सेवा , karm और tapasya के द्वारा जिस प्रेम का ढेर bnta है .वही प्रेम vishudh aur सफल hota hai ।
Saturday, May 16, 2009
बहने....
माँ रो रही होती है माँ जैसी ,
भाई खड़े रहते है भाई जैसे ,
तब कुछ भाई ,कुछ माँ ;कुछ बाप जैसी ,
प्रार्थना मे झुकी रहती है बहने।
Saturday, May 09, 2009
"माँ"
Monday, March 23, 2009
वो रेत का घरोंदा
Sunday, March 22, 2009
" माँ ऐसी होती है "
Monday, March 02, 2009
चुहलबाजी -जनहित मे जारी
- यदि आप पत्नी से झूठ नही बोल सकते तो आप पति होने लायक नही है ।
- पत्नी रो रही हो तो सहानभूति का प्रदर्शन कीजिये ,मुस्करा रही हो तो सतर्क हो जाए ।
- बरातों मे विवाहित पुरष की पहचान --जो अच्छा व तेजी से नाच रहा हो ।
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Saturday, February 07, 2009
I LOVE YOU का अंकगणित
सच्चा प्रेम मुखर नही होता ,मौन रहता है । सामने वाले को बिना बोले ही विश्वासऔर प्रेम का अहसास हो जाए तभी अपनेपन का मजा है । दोनों तरफ आग बराबर है, लेकिन इजहार नही हो पा रहा है समझ दोनों रहे है । तबही तो कबीरदास जी ने कहा है कि "मन मस्त हुआ तब क्या बोले "। नेह ,मुस्कराहट ,महत्व .मोह , माही,और मौन तो प्रेम को सबल बनाते है । इसलिए प्रेम कीजिये और प्रेम का आँगन आबाद बनाये रखिये । बस तेज भागती दुनिया ने आई लव यू जैसे जुमले की जगह 'अंकगणित' के 143 में बदल दिया है । इधर से 143तो उधर से भी 143बस हो गया प्यार । प्यार अंकगणित का पाठ नही है । क्योंकि 143के फेर में लोग देह का भूगोल पढ़ रहे है । तभी तो किसी ने कहा है की 'तन के तट पर मिले हम कई बार , द्वार मन का अब तक khula नही ,सैर करके चमन की क्या मिल हमे ,रंग कलियों का अब तक घुला नही । लोगो को देह के भूगोल की बजाये प्यार को अहसास में महसूस करना होगा ।
Thursday, January 15, 2009
पुनः स्वास्थ्य सेवाओ की बदहाली पर चिंता
प्रो .भार्गव की चिंता वाजिब है। प्रदेश की स्थितियां बहुत ख़राब चुकी है । स्वास्थ्य सेवाए ऐसी ही रही तो बीमार पीढी हमको रिपलेश करेगी उसके हम लोग ही जिम्मेदार होंगे । तब हमारी बूढे शरीर में इतना दम नही होगा की उनकी बीमारी को बर्दाश्त कर सकेगे ।
Wednesday, January 07, 2009
उत्तर प्रदेश को बीमार प्रदेश का दर्जा........ शासन को बधाई
अब सरकार कल कुछ अधिकारीयों पर गाज गिरा कर इतिश्री कर लेगी । हमारा शासन पूर्व की भति काम करता रहेगा । आज किसी अधिकारी पर गाज, कल किसी पर ऐसे ही चलता रहेगा ।
Thursday, January 01, 2009
प्रार्थना
ऐ"हे ईश्वर , यदि मैं विजय का पात्र हूँ तो मुझे विजेता होने की शक्ति प्रदान करे ,लेकिन यदि मैं हारूं तो मुझे कापुरष नही अपितु एक बहादुर की तरह हार को ,स्वीकार करने की शक्ति दे ,यही मेरी प्रार्थना है । मुझे विजेताओं के गुजरने वाली राह पर उनके अभिनंदन के लिए खड़ी भीड़ में सम्मिलित होने और यह कहने की शक्ति दे की 'यह वे लोग है जो मुझसे बेहतर थे । "
"जिंदगी मे कभी रिश्तों को बनाये रखने की कोशिश मत कीजिये ,बस रिश्तों में जिंदगी बनाये रखिये"
(Rajshri Misra का एस एम एस से आया संदेश )
Wednesday, December 24, 2008
जो धागा तुम से जुड़ गया..........
यह पोस्ट मैं उनके दर्द व अनुभव के आधार पर ही लिख पा रहा हूँ इस नाते यह पोस्ट उन्ही बुजुर्गो लोगो के लिए जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा।
रह्स्वादी कहते है की जीवन एक अजूब पहेली है ,इसे जाना नही जा सकता । हम जीवन के पूरे सफ़र में एक ऐसे यात्री की भूमिका निभाते है ,जो आशा की नन्ही किरण की खोज में भटकता रहता है । कितना अच्छा हो की इस लंबे सफर में कोई मन का मीत मिल जाए । जब हमारे पैर लड़खडाने लगे तो वह हाथ थाम ले और जब हम सफलता के शिखर पर हो तो वो भी सहभागी हो और सत्य के अन्तिम पलों में साथ हो । वह मन का मीत हमारा जीवन साथी ही हो सकता है ।
परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई होने के साथ -साथ स्नेह का स्रोत भी है । मधुर पारिवारिक माहौल से सिर्फ़ व्यक्ति को पनपने का मौका मिलता है बल्कि वह समाज को भी संतुलित करता है ।
परिवार को बसाने और बनाये रखने में सबसे अहम् भूमिका पति -पत्नी की ही तो होती है , चाहे वे नवविवाहित हो या बरसो पुराने । क्यों न वह मेड फार इच अदर वाले भी हो । सम्बन्धों का स्वरूप बदलते मौसम की तरह है ,जिसमे कभी गर्माहट , कभी ठंडक ,तो कभी बसंत का जादू मुस्करा उठता है, उसमे धूप -छावं की आखं मिचौनी सदा अपने खेल खेलती रहती है । लेकिन एक बात और भी है प्रेम रस में भीगे रहना ही विवाह नही है हालाँकि दाम्पत्य की स्निग्धा उसके बिना कभी सम्पूर्ण नही हो सकती है । कोई भी रिश्ता हो उसमे ईमानदरी का बीज भी होना जरुरी है तभी तो रिश्ता निभाने का मजा है । किसी भी रिश्ते में अपनेपन के साथ निश्ल भावः हो तो कहने ही क्या । इन सबके होने से संबंधो की बगिया सदाबहार रह सकती है ।
हमें जरूरत सबेरे की ज्यादा है ,उसमे आलोकित होकर ही हम सुख के ग्राही हो सकते है वैसे पी.वी. शैली के शब्दों में कहा जाए तो "दिन बसंत के दूर नही अब , आता हो तो आए पतझड़ ।
Friday, December 19, 2008
जाते बरस के नाम
जाते बरस का संदेश -: कम खर्च करो ,कम उधार लो और अपनी देनदारी से मुक्ति पाओ । प्रेम और ताजी हवा हर साल मिलेगी , उसका भरपूर आन्नद उठाने से मत चूको। जीवन में रोमानियत भी लाओ और खूब बोलो और खूब हँसों।
"सोते रहना ही कलयुग है , जगना द्वापर है , उठकर खड़ा होना त्रेता है और चलना ही सतयुग है । "
Friday, December 05, 2008
कोई मेरा बचपन वापस ला दे ?
बड़ा होने से डरता है । "
कोई मेरा बचपन वापस ला दे । मुझे अब कुछ नही लेना है बस कोई मेरा बचपन ला दे ,क्योकि बचपन ही तो राज -सिंहहासन था जिसे हमने पीछे छोड़ दिया । अब बड़ों की दुनिया में मन नही लगता ,अब लगता है की बचपन ही तो राज सिंहहासन था ।
कागज़ की कश्ती थी ,
पानी का किनारा था ,
खेलने की मस्ती थी ,
दिल ये आवारा था ,
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादाँ बचपन कितना प्यारा था ......
Thursday, December 04, 2008
मुंबई पर हमला यानि देश पर हमला
आतंकवादी सफल हो रहे है और खुफिया तंत्र असफल हो रहा है चिंता का विषय है ।
आक्रोश के साथ ,बस इतना ही ।
Saturday, October 11, 2008
बिन फेरे हम तेरे
कानून बन जाने से बिना फेरे लिए साथ रहने वाले जोडों को शादी -शुदा दम्पंती के बराबर दर्जा मिल जाएगा और ऐसी महिलायें साथ रहने वाले आदमी की सम्पंती व गुजारा भत्ता की भी हक़दार
होगी ।मलिमथ कमेटी की सिफारिश पर आधारित इस प्रस्ताव में सी आर पी सी की धारा १२५ में उल्लेखित 'पत्नी' शब्द की परिभाषा को संशोधित करने की बात कही गयी है । वैसे भारतीय समाज में शादी की पवित्रता और जरूरत को देखते हुए ऐसे दोहरे रिश्तो से सामाजिक विसंगतिया होने की संभावना हो जायेगी । जब देश में कानूनी रूप से बहु -विवाह पर रोक है । तब दूसरी महिला को 'पत्नी 'का दर्जा कानून की अवहेलना मानी जायेगी ।
यदि पत्नी ही कहलाना है और बिना शादी के साथ रहने वाले महिला और पुरूष दोनों आविवाहित है तब महिला को औपचरिक शादी से पत्नी का दर्जा देने कोई एतराज क्यों ?यदि' लिव -इन -रिलेशनशिप' उन जोडों के बीच है जिनमे पुरूष विवाहहित है तो सामाजिक तरीके से विवाह करने वाली और उसके बच्चों के अधिकारों का क्या होगा वाजिब ही होगा की ऐसे संबंधो को कानूनी मोहर लगने पर पहली पत्नी और उसके बच्चों को मानसिक और आर्थिक आघात लगेगा और 'पत्नी 'जैसी दूसरी महिला को अधिकार और सुरक्षा देने के नाम पर पत्नी को आसुरक्षित माहौल में धकेल दिया जाएगा ।
यह कैसा न्याय है ?
सबसे जरुरी बात यह है की 'लिव -इन -रिलेशनशिप 'को कानून के दायरे में लाने पर विवाह जैसी संस्था की अन्तिम अनिवार्यिता पर प्रश्न चिह्न नही लग जाएगा । कुल मिला कर मेरा मानना है की किसी भी रिश्ते की चाभी परस्पर विश्वास और वचन पर है । जो हमारे बीच होती है और होनी भी चाहिए ।
उसी विश्वास को जीवन पथ पर निभाने वाले साथियों के लिय :-"गुलाब ऐसे ही थोडें गुलाब होता है ,यह बात काटों पे चलने पर समझ मैं आती है । "
Thursday, September 18, 2008
प्रेम पर चोट
आप हर उस इंसान से प्यार कर सकते है, जो आपको प्यारा लगता हो । या तो यह भी कह सकते है की प्यार एक विश्वास है उसके के प्रति जिसे आप मन या दिल से पसंद करते हो । इन दोनों का दोष सिर्फ़ इतना ही तो था की वो प्यार करते थे उहने क्या मिला ।मुझे लगता है जब मारने वाले एक हो सकते है तो नई पीड़ी क्यों नही एक हो सकती ? क्या नई पीड़ी ऐसे ही मरती रहेगी। जब कोई चीज छीन रहा तो अपने को भी बचाते सामने वाले को परेसान कर देना होगा । क्या नई पीड़ी बे मतलब की परम्परा में जलती रहेगी ।
काश ऐसा हो की सबको अपनी पसंद का ,प्यार करने वाला जीवन साथी मिले जो आप मर मिटे ।
( किसी रोज सिर्फ़ प्यार पर बात होगी जिसमे हर पहलू बात होगी जहाँ नये लोगो के साथ हमारे अपने बड़ों का साथ भी होगा । )
Wednesday, September 10, 2008
क्यों ना कुछ अपने बारे मैं
जब मैं लिखना बैठा तो मुझे अपनी ज़िन्दगी के बिताये हर वो पल याद आ गए जो रोकर या हंसकर गुजारे। नानी की हथेलियों का खुरखुरापन भी याद आया जब वो लाड़ से चहेरे पर फेरती थी , अब वो नही रही । ऐसा ही कुछ मेंरे बाबा की बातें है जो बस यादें ही रह गई है । कहते है न की परिवर्तन का नाम ही जीवन है ।
बाकी मेरे घर में वो सब कुछ है जिससे हम लोग खुश रह लेते है ।
सबसे पहले मैं यह बताना चाहता हूँ की मैं ख़ुद को कैसे देखता हूँ और मैं कौन हूँ । जब भीषण गर्मी के बाद तपती धरती और तपते आसमान में काली घटाए हवायों के साथ उमड़ती चली आती है । मैं उन उमड़ती काली घटायों की बारिश की वह पहली बूँद हूँ जो कहती है की अब मुझसेअब नही रहा जाता कुछ कर गुजरने की छटपटाहट है चाहें मंजिल पाऊ या फ़िर रास्ते की गर्मी से बीच में ही सूख जाऊं ----।
वैसे तो जीवन में ऐसा कुछ भी नही किया है जो लिखा या बताये जाने को हो अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है । जिसमे अपने बडों के आशिर्बाद के साथ -साथ साथियों के साथ भी तो जरुरी होगा ।
चाँद चाहे कितनी भी कोशिश कर क्यों न कर ले ,वह रात को दिन नही बना सकता । ऐसा ही कुछ तो होता है साथियों के बिना कोई कार्य करना। मेरा तो किसी काम को करने के लिए पहले कदम को आगे करने में विश्वास है , क्योंकि कदम आगे करने पर रास्ता ख़ुद बा ख़ुद निकल आता है । ऐसा मेरा मानना है । मेरे अब तक के जीवन की दो इच्छाए रही है। पहली ,बेह्तर इंसान बनना । दूसरी ,पूरी तरह खुश रह कर अपने आस पास के लोगो को खुश रखना । प्रभु के आशिर्बाद से कुछ हद तक मैं अपने को सफल भी मानता हूँ ।
मैं अत्यन्त सादा और साधारण इंसान हूँ जो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरणा से कार्य कर रहा हूँ ।
रही बात चेहरे -मोहरे की वो कोई ख़ास नही है । प्रभु ने जान - बूझ कर अच्छा चेहरा मोहरा नही दिया । वैसे मैं कभी -कभी अपने प्रभु से कह लेता हूँ की अरे प्रभु थोड़ा सा अच्छा चेहरा -मोहरा दे दिया होता तो क्या चला जाता ,कुछ हम भी इतरा लेते । हमारा भी तो मन है की कोई हमे अपनेपन का एहसास कराए , हमारी भी तारीफ करे । क्या सारे अपनेपन का ठेका अच्छे चेहरे - मोहरे वालो का है । खैर जाने दीजिये अब इन बातो मैं क्या रखा है ,जो हो गया उसे बदला तो नही जा सकता है । कुल मिला कर मैं बहुत खुश हूँ ,रचनात्मकता मैं विश्वास रखता हूँ क्योंकि जिंदगी बहुत छोटी है अगर हम लोग हर पल अपने चारो ओर नही देखेगे तो कुछ ना कुछ नज़ारा छुट जाएगा । ईश्वर हर पल मेरे साथ है ऐसा मेरा विश्वास है । ईश्वर ने मेरे हर ख्वाब को हकीकत में बदला , लेखन भी उनमे से एक है । ईश्वर का आशिर्बाद ही तो है की मुझ जैसे नालायक को अलौकिक चमत्कार का एहसास कराया । बाकि ईश्वर पर छोड़ दिया है की वो कब तक अलौकिक चमत्कार का एहसास बनाये रखता है बाकि उसकी मर्जी । मैंने अपनी बातचीत में बारिश , गर्मी का जिक्र किया जब बात पूरी कर रहा हूँ तो बरसात का मौसम हो गया है तो उसका असर लेखन पर आ गया है उसके लिए माफ़ कर दे क्योंकि जवान लेखनी से गलती हो जाया करती है । अपने बारे मैं लिखना वाकई मैं काफ़ी मुश्किल है मुझे आज पता चल गया की लोग क्यों अपने बारे में लिखने से बचते है वैसे मैं भी कम नही हूँ मैंने भी कुछ अपनी बातें छुपा ली है अभी मुझे घर मैं रहना है, इतना तो मुझे बेईमान रहना का अधिकार है ।
बस सिर्फ़ अपने अलौकिक चमत्कार के लिए ...............
'फ़िर सावन रुत की पवन चली तुम याद आए ,
फ़िर पत्तो की पायजेब बजी तुम याद आए । { जनाब नासिर काजिम }
Monday, September 08, 2008
बहने
हर आँगन मेहमान सी , पकडो तो उड़ जाए।" [निदा फाजली ]
"आँगन -आँगन बेटियाँ छांटी -बांटी जाए
जैसे बाले गेहूं की ,पके तो काटी जाए "। (अज्ञात )
Tuesday, August 26, 2008
छोटी बहन
यादो में सबसे मीठी,
कविताओं मे भी सबसे अच्छी ।
बातो मे सबसे निराली ,भावनाओ में कोमल ,
सपनों से नाजुक होती है छोटी बहन ,
दिल -दिमाग ,सासं इन सबसे से
अलग चेहरा लेकर रहती है
छोटी बहन ।
Sunday, August 24, 2008
अपने दोस्त राहुल को........
माँ के सुकुमार और बहन के दुलारे राहुल को जन्मदिन की बहुत -बहुत बधाई । ऊपर वाला तुम्हारे सपने साकार करे।
" आने वाले दिन
मौसमो के दिन हो ,
मुस्कराने के दिन हो ,
जूझने के दिन के बाद ,
जीतने के दिन हो,
हमारे दिन हो ।"